मिथिलाक गाम घर
जिनकर आचर गंगा स पावन
आभा जिनकर सूर्य केर समान
ओही नारी केर हम छि जाया
सदिखन करब हुनक समान .
कमला कोशी गंडक स
जिनकर ह्रदय गहिर अछि
हुनका मुख मंडल पर सदिखन
भाव पीर गंभीर अछि .
आसमान स पैघ अछि ओ
ब्रह्माण्ड स अछि भारी
तखन किअक ओ अहि ठाम जिबय
बनी अबला एक नारी .
लक्ष्मी काली गौरी के ओ
स्वयं देने छैथ रूप
अहि पावन धरनी वसुंधरा पर
ओ छैथ स्वयं ब्रहम केर रूप .
रोशन कुमार झा
जिनकर आचर गंगा स पावन
आभा जिनकर सूर्य केर समान
ओही नारी केर हम छि जाया
सदिखन करब हुनक समान .
कमला कोशी गंडक स
जिनकर ह्रदय गहिर अछि
हुनका मुख मंडल पर सदिखन
भाव पीर गंभीर अछि .
आसमान स पैघ अछि ओ
ब्रह्माण्ड स अछि भारी
तखन किअक ओ अहि ठाम जिबय
बनी अबला एक नारी .
लक्ष्मी काली गौरी के ओ
स्वयं देने छैथ रूप
अहि पावन धरनी वसुंधरा पर
ओ छैथ स्वयं ब्रहम केर रूप .
रोशन कुमार झा
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