Blogger templates

गुरुवार, 17 मई 2012

आई चलू संगे प्रेम गीत गेबै प्रिय एकटा प्रेमक महल बनेबै प्रिय .

मिथिलाक गाम घर 

आई चलू संगे प्रेम गीत गेबै प्रिय 
एकटा प्रेमक महल बनेबै  प्रिय .

गीत गबैत गबैत हम जेबै प्रिय 
अपन प्रेमक महल सजेबै प्रिय .

अहि ज़माना स आब नहीं डरेबै प्रिय 
चाँद तारा स महल केर सजेबै प्रिय .

गीत गाबी राधा कृष्ण के रीझेबै  प्रिय 
हुनको  महल में आसन लगेबै प्रिय .

सगरो दुनिया केर आब दखेबै प्रिय 
"रोशन" फुंस केर महल बनेबै प्रिय .

रोशन कुमार झा 

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें