मिथिलाक गाम घर :
आंगुल मिलज ज एक संग मुठी बनै
त फेर स इतिहाश छापल जा सकैयई
जग चीन्है पुरुषार्थ आ पौरुष हमर
वेग पर नहीं काल बान्हल जा सकैयई .
चुटकी बजा ज फन नाथी ओतय नाग केर मुरली बजा
मुरली बजा फेर नाग नाथल जा सकैयई
ज हलाहल पान ह स्वीकार त
वेग पर फेर एक बेर सिन्धु बाँधल जा सकैयई .
ज अप्पन निक स्वार्थ केर परित्याग दी
त चिउल्ही अन्को घर पजारल जा सकैयई
फाटल सुखायल होठ कियो मुस्का सकी
त गीत मिलनक फेर गाओल जा सकैयई .
छाती सटा ज नेह स आदर करी
त लोक अपनों संग आनल जा सकैयई
त लोक अपनों संग आनल जा सकैयई
त लोक अपनों संग आनल जा सकैयई .
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