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गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

MITHILAK PAAG


  
हम पाग छी  
सम्मानक प्रतीक
लाल, पीयर, उज्जरि
अहि हमर कयकटा रंग
हम पाग छी
मिथिला संस्कृतिक प्रतीक !

हम व्यथित छी
ई देखि कि हमरा अपन लोक
बदनाम कय रहल अछि
हम कतय जाऊ ?
ककरा कहू ? के सुनत ?
विद्यापतिक माथाक शोभा
मलीन कयल जा रहल अछि
जाइत पाइतक नाम पर !

हमर की गलती ?
हमर सहोदर मोर,
अनुज गांधी टोपी
दूरक भाय पगड़ी
सब हमरा पर हंसि रहल अछि!
छी! छी केहन लोक अहि
मैथिल परिवारक लोकनि !

हम त्रस्त छी, व्यथित छी !!
सबहक सोझा सं ओझल
हमर आंखिक नोर !
केऊ पोछनाहर नहिं !
हाथ प्यारि काटि कय
अपंग ओंघरायल छी
किछु सांस्कृतिक कार्यक्रम में!
शादी विआहक बरियाति में !

के छथि अपन लोक
जे बचायत हमरा राजनीतिक चंगुल सं
सुनि रहल छी ! हौ भाई
आब हमरा जिआब या गारि दअ
किछु स्वार्थीक अपमानक मरघट्टी में !
तहन त नहिं सुनब अपन उपहास !
कतएक दिन हम घीघ्घी बान्हल रहब !
सुनि रहल छी ! हौ भाई !

-    भास्कर झा 18/04/2012




सम्मानक प्रतीक
लाल, पीयर, उज्जरि
अहि हमर कयकटा रंग
हम पाग छी
मिथिला संस्कृतिक प्रतीक !

हम व्यथित छी
ई देखि कि हमरा अपन लोक
बदनाम कय रहल अछि
हम कतय जाऊ ?
ककरा कहू ? के सुनत ?
विद्यापतिक माथाक शोभा
मलीन कयल जा रहल अछि
जाइत पाइतक नाम पर !

हमर की गलती ?
हमर सहोदर मोर,
अनुज गांधी टोपी
दूरक भाय पगड़ी
सब हमरा पर हंसि रहल अछि!
छी! छी केहन लोक अहि
मैथिल परिवारक लोकनि !

हम त्रस्त छी, व्यथित छी !!
सबहक सोझा सं ओझल
हमर आंखिक नोर !
केऊ पोछनाहर नहिं !
हाथ प्यारि काटि कय
अपंग ओंघरायल छी
किछु सांस्कृतिक कार्यक्रम में!
शादी विआहक बरियाति में !

के छथि अपन लोक
जे बचायत हमरा राजनीतिक चंगुल सं
सुनि रहल छी ! हौ भाई
आब हमरा जिआब या गारि दअ
किछु स्वार्थीक अपमानक मरघट्टी में !
तहन त नहिं सुनब अपन उपहास !
कतएक दिन हम घीघ्घी बान्हल रहब !
सुनि रहल छी ! हौ भाई !

-    भास्कर झा 18/04/2012


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