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गुरुवार, 15 अगस्त 2013

स्वाधीनता समरमे कलम-तरुआरि संग मिथिला (अमलेंदु शेखर पाठक के इ लेख "मिथिला आवाज" मैथिली दैनिक समाचार पत्र केर 15 अगस्त केर अंक में प्रकाशित अछि. )

स्वाधीनता समरमे कलम-तरुआरि संग मिथिला

 
सांसारिक एवं आध्यात्मिक चेतनाक बीच अद्भुत सामञ्जस्य बनेनिहार महाराज विदेह जनकक मिथिला-भूमिक कोखिसँ जतऽ भगवती सीताक प्राकट्य भेल ओतहि अनेकश: विभूति भेला जे विद्या-वैभवक बलपर सम्पूर्ण विश्वमे अपन मातृभूमिक कीर्त्ति-पताका फहरेलनि। अपन विशिष्ट सांस्कृतिक परम्परा लेल बेछप परिचय स्थापित केनिहार मिथिला सदिखन शान्त मनसँ विद्या-व्यवसायमे लागल रहल। शब्द-ब्रह्मक संग शान्ति केर उपासना लेल मैथिल चर्चित रहला अछि। यैह यथार्थो अछि, मुदा एकर अर्थ ई कदापि नञि अछि जे मिथिलावासी डेरबूह रहला अछि। जखन कखनो बेर पड़ल मिथिलाक वीर-सपूत क्रान्ति-कालीक आराधनासँ कहियो डेग पाछाँ नञि केलनि। एहि ठामक तप:पूत आत्मबलिदान लेल प्रस्तुत रहला। हँ, समर-भूमि पर्यन्तमे अपन विवेक आ बुद्धिकेँ संग रखलनि। मिथिला जखन कखनो युद्ध लेल सन्नद्ध भेल अपन मेधोक उपयोग करैत रहल। क्रान्ति-पथपर बढ़ल तँ समवेत भऽ बढ़ल। वीर योद्धा लोकनि तँ मैदानमे अपन वीरताक प्रदर्शन लेल उतरबे केला, साहित्य-साधक लोकनि सेहो पाछाँ नञि रहला। समर-भूमिमे कलम आ तरुआरि एक संग अपन कमाल देखबैत रहल। भारतमाताक परतंत्रताक बेड़ी कटबा लेल सेहो मिथिला जखन समवेत भेल तँ एक दिस जतऽ अपन शोणितसँ राष्टÑ-देवताक चरण पखारबा लेल मैथिलक नम्मा पतियानी लागि गेल ओतहि साहित्यकार बन्धु सेहो अक्षर-अर्घ्य समर्पित केलनि। स्वतंत्रता-संग्रामक महायज्ञमे अपनाकेँ होमि देबा लेल उताहुल असंख्य मैथिल युवा जतऽ चन्द्रशेखर आजाद, सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, खुदीराम बोस, प्रफुल्ल चाकी आदिकेँ अपन आदर्श मानि बलिदानीक शृंखलामे जुटि गेला, ओतहि महात्मा गान्धीक अहिंसा आ असहयोग आन्दोलनक संग सेहो सम्पूर्ण समाज जुटि गेल। ओहि समय जेना मिथिलाक घर-घर आन्दोलनीक गढ़ बनि गेल। एक दिस युवा लोकनि रेल लाइन उखाड़बामे जुटला तँ टेलीफोनक तार काटल गेल, सड़क-पुल तोड़ल गेल, कोर्ट-कचहरीमे ताला लगायल गेल। डाकघर लूटल गेल आ अंगरेजी सरकारक अन्य सम्पत्तिकेँ व्यापक क्षति पहुँचायल गेल। एहि क्रममे कतेको ठाम गोली चलल आ सैकड़ो गोटे एहिमे मारल गेला। जखन 1857 केर विद्रोह भेल तँ ओ मिथिलामे देवघरक समीप रोहिणी गामसँ आरम्भ भेल जतऽ 12 जून 1957 केँ ओहि ठामक रेजीमेण्टक तीन सिपाही विद्रोह करैत लेफ्टिनेण्ट सर नारमन लेस्लीक गोली मारि हत्या कऽ देलनि। तीनूकेँ फाँसीक सजाय भेटलनि। एकर बाद भागलपुरक संग मिथिलाक आन-आन क्षेत्रमे विद्रोहक आगि पसरैत गेल आ मिथिलाक सपूत लोकनिक बीच जेना अपन जीवन-धन अर्पित करबाक प्रतिस्पर्द्धा आरम्भ भऽ गेल। एहि क्रममे बड़गामक रामदयाल सिंह, मुधोरापुरक छुट्टो उर्फ झगड़ू आदि फाँसीक फान चुमलनि तँ बड़गामक कदई साही, छोटू साही, कृष्णा साही, दर्शन शाही आदि कालापानीक सजाय पेलनि। एकर अतिरिक्त नत्थू शाही, शोभा शाही, बैजनाथ तिवारी, कित्तू शाही, छत्रधारी शाही तिलकू तिवारी आदि सेहो जहलक सजाय भोगलनि। ई मिथिलाक कोनो एक क्षेत्रक कथा नञि अछि। आन्दोलनीक ई पतियानी नम्मा होइत चलि गेल।
दरभंगाक पं. रामनन्दन मिश्र, डॉ. लक्ष्मण झा, जयनारायण झा विनीत, यदुनन्दन शर्मा, सूरज नारायण सिंह, हरिपुर गामक बलिदानी बालक द्वय शिव आ नारायण, कमलेश्वरी चरण सिन्हा, गोष्टो बनर्जी, दीनानाथ सिंह, जगदीश्वरी प्रसाद ओझा, ब्रजकिशोर प्रसाद, धरनीधर प्रसाद, रामनिहोरा सिंह, कुलानन्द वैदिक, डॉ. डी. एन. झा, गोपी बल्लभ दास, ब्रज बल्लभ दास, ओकील सुरेन्द्र प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद, राधिका प्रसाद, राजपति लाल, भरफोड़ीक रक्षा सिंह, नेउरक अवध सिंह आ राज प्रसाद सिंह आदि स्वाधीनता-समरमे अपनाकेँ झोँकि देलनि। स्वाधीनता आन्दोलनमे दरभंगा राज परिवारक अहम भूमिका रहल। राज परिवार आरम्भेसँ स्वाधीनता सेनानीकेँ सहयोग दैत रहला। बेर पड़ल तँ खुजि कऽ सेहो सामने आयल आ तत्कालीन काँग्रेसकेँ अधिवेशन लेल इलाहाबादमे भवन कीनि कऽ समर्पित कऽ देलक। दरभंगाकेँ महात्मा गान्धी, सुभाष चन्द्र बोस आदिक प्रत्यक्ष मार्ग-दर्शन भेटैत रहल जे पाथेय बनल।

नेशनल स्कूल भरलक नव ऊर्जा 

स्वतंत्रता आन्दोलनकेँ नेशनल स्कूलक स्थापना नव ऊर्जासँ भरलक। दरभंगामे एकर स्थापना 1920 इ. मे भेल। ई स्थापित भेल छल सरकारी स्कूलकेँ त्यागनिहार छात्र लोकनिकेँ पढ़ेबा लेल, मुदा बादमे ई आन्दोलनीक गढ़ बनि गेल। ई नेपालक पूर्व प्रधानमंत्री मातृका प्रसाद कोइराला आ वी. पी. कोइरालाक संग ओहि समयक प्राय: सभ आन्दोलनीक आश्रयस्थल बनल। ई आपात कालमे समाजक चिन्तो करैत रहल, ओतहि बेर-विपतिमे ठाढ़ो होइत रहल। एहि ठाम 1932 केर 26 जनवरीकेँ राष्टÑीय ध्वज फहरेबाक घटना ककरा रक्तकेँ ओजसँ नञि भरि देत। ओहि दिन भीड़ जमा छल आ राष्टÑीय ध्वज फरायल जा रहल छल। तखने अंगरेजी सिपाही पहुँचि गेल आ कार्यक्रम स्थगित करबा लेल कहलक, मुदा आन्दोलनी नञि मानलनि। लाठी चार्ज भेल, मुदा 12 बरखक छात्र युगेश्वर प्रसाद सहित कतेको आन्दोलनी डटल रहला। एहिमे कतेको गोटे घायल भेल छला। मधुबनीमे चतुरनान दास आ समस्तीपुरक दलसिंहसरायमे वंशीधर मारवाड़ी नेशनल स्कूलक स्थापनाकेँ साकार केलनि। एकर अतिरिक्त हाजीपुर, सीतामढ़ी, बेतिया, मेहसी, भागलपुर, कटिहार, नसरगञ्जमे सेहो नेशनल स्कूल स्थापित भेल आ आन्दोलनक चिनगीकेँ प्रचण्ड ज्वाला बनबैत रहल।
मधुबनी : जयनगर थानाक घेराव कालमे छपराही गामक   लखन यादवक बलिदान भेलनि। डॉ. बैद्यनाथ मिश्र बेनीपट्टी थाना आ डाकघरमे आगि लगेलनि आ एहि क्रममे मुइला। ओतहि भोगेन्द्र झा, रामाकान्त झा, फखरू महतो, गणेशी ठाकुर, अकलू महतो लाइन उखबड़बा काल अंगरेजक गोलीसँ मुइला। एहिमे नथुनी साह गोलीक छर्रासँ घायल भेला। रामलखन मिश्र, बेनीपट्टीक डॉ. बैद्यनाथ झा, ठक्कन महतो आदि

 नेपालक जहल तोड़लक आजाद दस्ता 

स्वाधीनता आन्दोलनमे समस्तीपुरक ओकील गिरिवर प्रसाद, सत्यनारायण सिंह, कर्पूरी ठाकुर, यदुनन्दन सहाय, डॉ. देवकीनन्द झा, डॉ. शालिग्राम मिश्र, रघुनाथ प्रसाद सिंह, सत्यनारायण तिवारी, रामखेलावन भगत, यमुना सिंह, रामनिरीक्षण सिंह, रामदेव सिंह, रमानन्द ब्रह्मचारी, देवनारायण मण्डल, जागेश्वर पूर्वे, अवध बिहारी सिंह, विश्वनाथ सिंह, जागेश्वर महतो, उमानाथ शर्मा, हरिनन्दन ठाकुर प्रसाद शर्मा, महावीर सिंह, सियाशरण सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह, मुनीन्द्र शर्मा, डॉ. रामप्रकाश शर्मा, नन्दलाल शर्मा, विलायत सिंह, यमुना कार्यी, सुनीति देवी, मो. शीश, मुंशी मेहतर, रत्नेश्वरी प्रसाद सिंह, लक्ष्मण सिंह, रामचन्द्र प्रसाद सिंह, रामलखन प्रसाद सिंह, गया प्रसाद सिंह, लक्ष्मीनारायण राय, राम औतार सिंह, कमलनाथ ठाकुर, युगल कुँवर, डॉ. मुक्तेश्वर सिंह उर्फ मुक्खा सहनी, शत्रुघ्न शरण सिंह, महेन्द्र नारायण सिंह, शौकत अली आजाद, डॉ. वी. डी. शर्मा आदि स्वतंत्रता आन्दोलनमे तन-मन-धनसँ लागल रहला। एहि ठाम नन्द किशोर शर्मा निर्भय आ कर्पूरी ठाकुर 1939 सँ पूर्व व्यक्तिगत सत्याग्रह आरम्भ हेबासँ पहिने राज्य छात्र संघक अधिवेशन करेलनि। निर्भयजीकेँ विरोधमे भाषण करबापर एक बरखक सजाय भेल छलनि। ओमहर छात्र सभ थानापर तिरंगा फहरेलनि। बादमे रामचन्द्र सिंह, एकबाल सिंह, माधव सिंह, उमाकान्त सिंह, जगदीश पोद्दार आ चन्द्र प्रकाश गिरफ्तार भेला। केईएचई स्कूलक छात्र रमाकान्त झा रोसड़ा टीसनपर झण्डा फहरेलनि। सिंघिया थानापर झण्डा फहरेनिहार कुलदीप सिंहकेँ गोली मारि देल गेल। दलसिंहसराय थानापर झण्डा फहरेबा काल गोली चलल जाहिमे कतेको मरला आ घायल भेला। 15 अगस्त 1942 केँ ब्रिटिश सेनासँ भरल ट्रेन मुजफ्फरपुर जा रहल छल, ओहिमेसँ मशीनगनसँ जूलूसपर गोली दागल गेल जाहिमे केईएचई स्कूलक नवम कक्षाक छात्र रामलखन राय शहीद भेला। अगस्त क्रान्ति भर्त्सनापर  एसडीओ जबर्दस्ती छात्र-अभिभावक केर हस्ताक्षर लेलक। केईएचई स्कूल खूजल तँ छात्र सभ ओहि बण्डलकेँ जरेलनि। एहिमे छात्र धनेश्वर साह, शारदानन्द झा, बलभद्र नारायण सिंह, राजेन्द्र नारायण शर्मा आ कृष्ण चन्द्र प्रसाद सिंह राधेजी अभियुक्त बनायल गेला आ केस भेल। एहि ठाम आजाद दस्ता गठित भेल। ई हनुमाननगर (नेपाल) जहल तोड़ि जयप्रकाश नारायण आ डॉ. राममनोहर लोहिया आदिकेँ छोड़ेलक। एहि दस्तामे शारदानन्द झा, वशिष्ठ नारायण सिंह, भोला साह, हरेकृष्ण राय, बलदेव चौधरी, बालेश्वर प्रसाद सिंह, कर्पूरी ठाकुर, रामऔतार शर्मा, रघुनाथ प्रसाद सिंह, राजेन्द्र नारायण शर्मा, जगदीश पोद्दार, रामबुझावन सिंह आदि छला। वशिष्ठ नारायण सिंह दरभंगा जहल फानि बहरेला जाहिमे दरभंगा समाहरणालय केर लिपिक राम सरोवर शर्मा आ कृष्णचन्द्र राधे सहयोगी भेला। हिनका लोकनिक अतिरिक्त राम बुझावन सिंह, बाबूजी पाठक, ठक्कन चौधरी, राजेन्द्र नारायण शर्मा आदि निरन्तर आन्दोलनात्मक गतिविधि चलबैत रहला।

खलबला उठल कोसी 
आ पवित्र गंगा 
भारत राष्टÑकेँ अंगरेजक दासतासँ मुक्त करेबामे गण्डकी, कमला, बलानक संग कोसीक पानि सेहो खौलि उठल। सहरसा, मधेपुरा, सुपौलक संग गंगाक किनारपर बसल मुंगेर आ भागलपुर सेहो अपनाकेँ एहि आन्दोलनमे पूरापूरी समर्पित कऽ देलक। कोसी क्षेत्रक  बाबू रामबहादुर सिंह, पं. छेदी झा, बाबू लक्ष्मी सिंह, जटाशंकर चौधरी, पं. सूयनर््ाारायण झा आदिक नाम स्वर्णाक्षरमे अंकित अछि। एकाढ़ गामक धीरो राय केर मृत्यु भागलपुर जहलमे भेलनि।
मधेपुराक चुल्हाइ यादव भागलपुर जहलमे मुइला। गढ़िया-बलहा गामक कालेश्वर मण्डल सहरसामे गोलीसँ मारल गेला। एही गामक नीरो मण्डल, नूनूलाल मण्डल, पं. बलभद्र मिश्र, रमेश झा, गणेश झा, महादेव मण्डल, शोभाकान्त मिश्र, बनगामक हरिकान्त एवं पुलकित कामति सहरसा टीसनपर अंग्रेजक गोलीसँ मारल गेला। चैनपुरक भोला ठाकुरकेँ सहरसा गोशाला लग गोली मारि देल गेलनि। नरियार गामक केदारनाथ तिवारी, उदाकिशुनगञ्जक बाजा साह, बलुआ बजारक प. राजेन्द्र मिश्र, ललित नारायण मिश्र, गढ़ियाक रमेश झा, पचगछियाक बाबू रामबहादुर सिंह, बनगामक पं. छेदी झा द्विजवर, रानीपट्टी गामक शिवनन्दन प्रसाद मण्डल, परसरमा गामक गंगा प्रसाद सिंह, मधेपुराक मो. कुदरुतुल्ला, बैद्यनाथधर मजुमदार उर्फ खोखाबाबू,  बिहराक रतिलाल मिश्र, सहरसा सुलिन्दाबादक चित्रनारायण शर्मा, परड़ीक सूर्यनारायण झा, सुपौलक कर्णपुर केर चन्द्रकिशोर पाठक, पटोरी पचगछियाक राजेन्द्र लाल दास, जटाशंकर चौधरी, गणतगञ्जक खूबलाल महतो आ हिनक पत्नी लक्ष्मी देवी आदिक अवदानकेँ कहियो नञि बिसरल जा सकैत अछि। विदेशी वस्त्र जरेबामे आ दोकानपर पिकेटिंग केनिहारमे रामफल सिंह, सोनाइ मण्डल, बोतल हजरा, ईश्वर मण्डल, जोहर मण्डल, झण्डा फहरेनिहारमे हंसराज पैकरा, सिताइ सन्त, अशर्फी साह, रामप्रसाद मण्डल, रामेश्वर झा, अशर्फी मेहता, मनोहरपट्टी गामक कामता प्रसाद, भूषण प्रसाद गुप्ता, भुवनेश्वर प्रसाद वर्मा, लक्ष्मण लाल दास, जनेश्वर   ठाकुर, विश्वनाथ प्रसाद सिंह, बैकुण्ठ प्रसाद सिंह, शालिग्राम प्रसाद सिंह, जयबल्लभ सिंह, सियाराम, चतुरानन्द मिश्र, गणेशपुर गामक श्रीकान्त मिश्र, विद्याधर झा, कोरियापट्टीक विश्वनाथ प्रसाद सिंह, बैकुण्ठ प्रसाद सिंह, परसारीक किन्नू यादव, वाजितपुरक उग्रनारायण सिंह, जदियाक भब्बी यादव, बभनगामाक विश्वनाथ झा, सुशासन गामक कमलेश्वरी मण्डल, मुरलीगञ्जक वेणी प्रसाद मण्डल, अमीरमल चम्पा लाल, सोहनलाल बैद्य, गंगापुरक सत्यनारायण मण्डल, मधेपुरा सरोपट्टीक कार्त्तिक प्रसाद सिंह, भेलाहीक सृष्टि नारायण यादव आदि स्वाधीनता सेनानी मातृभूमिकेँ अंगरेजक चाङुरसँ मुक्त करेबामे दिन-राति एक केने रहला। तिलकपुर गामक सियाराम सिंहक नेतृत्वमे सियाराम दल गठित भेल। सोनवर्षामे सियाराम दल आ पुलिसमे संघर्ष भेल। एहिमे सरदार नित्यानन्द सिंह, भागलपुर खरहियाक अर्जुन सिंह, बिहपुर झण्डापुरक फौदी मण्डल, सोनवर्षाक लड्डू शर्मा, कालूचक विसपुरिया कालूचक केर रामावतार झा, सोनवर्षाक सीताराम मण्डल आ खुशरू मण्डल तथा खरिक कठैलाक निर्मल झा मारल गेला।
एकर नेतृत्वकर्त्ता पार्थ ब्रह्मचारी, चिन्तामणि मिश्र, रामखेलावन सिंह, रामावतार राय आदि दलमे छला। एहि ठाम परशुराम दल आ महेन्द्र गोपक दल सेहो सक्रिय छल। एकर अतिरिक्त भागलपुरक केशवदास चौधरी, सीतामढ़ीक बाबू नवाब सिंह, यमुना सिंह, पूर्णिञाक लक्ष्मीनारायण सुधांशु, लेफ्टिनेण्ट केदारनाथ चौधरी, रवि रञ्जन बाबू, कन्हैया लाल, कटिहारक सत्यदेव शुक्ल, खगड़ियाक माड़र गामक बलिदानी प्रभु नारायण आ धन्ना-माधव, आदि स्वतंत्रता-संग्राममे जुटल रहला। मुजफ्फरपुर तँ जेना आन्दोलनीक गढ़े छल। नरम बा गरम दुहू दलक ई केन्द्र जकाँ छल। खुदीराम बोस आ प्रफुल्ल चाकी किंग्स फोर्ड केर हत्या लेल ओकरा वाहनपर जखन बम फेकलनि तँ युवक नव उछाहसँ भरि उठला।
ओना एहि घटनामे फोर्ड बचि गेल आ दू गोट महिला मारल गेली, तथापि बम काण्ड खुदीरामकेँ युवा-हृदय सम्राट बना देलक। समस्तीपुरक ओइनीमे हुनक पकड़ल जायब आ फाँसीपर चढ़ा देल जायब आन्दोलनीक संकल्पकेँ आरो मजगूत केलक। मुजफ्फरपुरक राय बहादुर द्वारिकानाथ, रामप्रसाद, रामनारायण तिवारी, अयोध्या सिंह, महंथ रामकृष्ण दास, रामप्रीत पाण्डेय, केदार सिंह, ध्वजा बाबू आदि स्वाधीन भारतक सपना साकार करबा लेल कण्टकाकीर्ण पथकेँ अंगीकार केलनि। तत्कालीन मुजफ्फरपुरक नगरपालिका अध्यक्ष खाँ बहादुर महबूब हुसैन आदिक सक्रियता इतिहास रचलक।  

गान्धीजीकेँ ‘महात्मा’ केर उपाधि अर्पित केलक मिथिला 


स्वाधीनता समरमे महात्मा गान्धीक अवदानक समक्ष सम्पूर्ण राष्टÑ नतमस्तक अछि। गान्धीजीक सफलतामे मिथिलाक बड़ बेसी योगदान रहल। ओ मिथिलामे अपन आन्दोलनक सूत्रपात मोतिहारीसँ केलनि आ तकर बाद हुनका संग जन समुद्र उमड़ि गेल। गान्धीजी मिथिलामे स्वतंत्रता आन्दोलनक बहि रहल बसातकेँ अन्हर-बिहाड़िमे बदलि देलनि। एकर बाद समग्र मिथिला असहयोग आन्दोलन, नोन सत्याग्रह आदिमे जूटि गेल। हुनक एहि अवदानकेँ मिथिला गम्भीरतासँ लेलक आ हुनका ‘महात्मा’ उपाधिसँ विभूषित केलक। हालेमे मैथिलीमे प्रकाशित गान्धीजीक पोथी ‘मंगल प्रभात’ केर अनुवाद पोथीमे डॉ. रामदेव झा एहि तथ्यकेँ उद्घाटित केलनि अछि। ओ 21 अप्रील 1917 सँ लऽ 24 नवम्बर 1917 केर बीच तत्कालीन प्रसिद्ध पत्रिका ‘मिथिला मिहिर’ मे गान्धीजीक आन्दोलनसँ सम्बन्धित आठ गोट समाचारक शीर्षक केर उल्लेख केलनि अछि जाहिमे गान्धीजीकेँ ‘महात्मा गान्धी’, ‘महात्मा कर्मवीर गान्धी’ कहल गेलनि। डॉ. रामदेव झाक मानब छनि जे गान्धीजीकेँ 21 अप्रील 1917 सँ पूर्व ‘महात्मा गान्धी’ कहल गेल होनि एहन प्रमाण नञि भेटैत अछि जे स्पष्ट करैत अछि जे गान्धीजीकेँ ‘महात्मा’ उपाधि मिथिला अर्पित केलकनि। चम्पारणक भूमि स्वाधीनता आन्दोलनक दृष्टिञे बड़ उर्वर रहल अछि। एहि ठामक राजकुमार शुक्ल, गोरख प्रसाद, रघुनाथ लाल, प्रजापति मिश्र, रामकुमार मिश्र, पवन कुमार मिश्र, खेम्हर राय, रामजी साह, प्यारेलालजी, काली कुमार मिश्र, ध्रुव नारायण त्रिपाठी, कमलनाथ तिवारी, विभूति मिश्र, विपिन बिहारी वर्मा, गणेश राय, राजाजी झा, लक्ष्मी नारायण झा, वंशी राउत, गुलाली, हरेकृष्ण झा, राजा ओझा, पशुपतिनाथ झा आदि आन्दोलनक ज्वालामे अपनाकेँ समर्पित कऽ इतिहास रचलनि।

लेखनी उगिलैत रहल आगि 

स्वतंत्रता आन्दोलनमे साहित्यकार लोकनिक लेखनी आगि उगिलैत रहल। आधुनिक मैथिली साहित्यक जनक कवीश्वर चन्दा झा ‘समय केहन भेल घोर हे शिव’, ‘न्यायक भवन कचहरी नाम, सभ अन्याय भरल तेहि ठाम’, साहित्यरत्नाकर मुंसी रघुनन्दन दास अपन कविता ‘देश दशा’, यदुनाथ झा यदुवर ‘भारत सुषमा’, ‘कामना’, पं. छेदी झा मधुप ‘चरखा चौमासा’, ‘जयति स्वदेश’, कविवर सीतराम झा ‘स्वदेश महिमा’ आदिसँ समाजकेँ स्वतंत्रता लेल चलि रहल आन्दोलनसँ जुटबाक प्रेरणा देबाक संग एहिमे लागल सेनानीक उत्साहवर्द्धन करैत रहला। ओमहर पं. रामनन्दन मिश्र मगन आश्रमसँ पत्रिका प्रकाशित कऽ अक्षर-आन्दोलन चलबैत रहला। कतेको जिलासँ विद्रोही पत्रिका प्रकाशित होइत रहल।
मिथिलाक स्वतंत्रता आन्दोलनक ई झलकी मात्र अछि। असंख्य लोक बलिदानी भेला। आइ हमरा लोकनि 67म स्वतंत्रता दिवस मना रहल छी। एहि सभ आत्मबलिदानी वीर-सपूतकेँ शत-शत नमन करैत एक बेर एहू दिस विचार आवश्यक जे की आइ देशक जे परिस्थिति अछि ताही लेल ई सभ अपनाकेँ होमि देलनि? की अंगरेजक दासतासँ मुक्त   भारत एहि सभ रणवीरक आकांक्षा-अभिलाषाक पूर्त्ति कऽ रहल अछि? की हमरा लोकनि अपन अवदानसँ हिनका सभक तर्पण करब?

साभार : अमलेंदु शेखर पाठक के इ लेख "मिथिला आवाज" मैथिली दैनिक समाचार पत्र केर 15 अगस्त केर अंक में प्रकाशित अछि. 

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