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शनिवार, 22 दिसंबर 2012

विद्यापति स्मृति पर्व समारोह २०६८ के संस्मरण - संयोजकक कलमसँ!



विद्यापति स्मृति पर्व समारोह २०६८ के संस्मरण - संयोजकक कलमसँ!

२०६७ विसं के समारोहक अपूर्व सफलता आ अनुभवक उर्जासँ ओत-प्रोत - विराटनगरवासीकेर उत्साह आ समर्थन देखैत २०६८ विसं के समारोह खूल्ला मैदानमें हो से सोचि वृहत समावेशी सहभागिताक संग कार्यक्रम करबाक सोच बनल मैथिली सेवा समितिक आ सभ तरफसँ अपार सहयोग पबैत विराटनगरमें नया इतिहास लिखि देलक विद्यापति स्मृति पर्व समारोह २०६८! एहि बेरुक कार्यक्रमके समुद्घाटन महामहिम उपराष्ट्रपति परमानन्द झा द्वारा कैल गेल आ नेपाल व भारत दुनू दिसक मिथिला सँ एक पर एक मनिषी, स्रष्टा, कवि, कलाकार, गायक, नेता आ समाजसेवीक भीड़ लागल छल समारोह में। वास्तवमें समारोहक मूल मर्म थिकैक विद्वान्‌कं  स्मृति-पूजा! आ एहि घड़ी विद्वान्‌ केर भीड़के विशेष महत्त्व होइछ। धन्य विद्यापति - अपन विलक्षण विद्या सँ एहि पृथ्वीके अमरशक्ति प्रदान छोड़ि गेलाह जेकर गान हम मैथिल आइयो ओतबा जोश - ओतबा गरिमापूर्ण आ ओतबा शालिनता सँ करैत छी जेकर प्रेरणा स्वयं त्रिलोकस्वामी महादेवक कृपापात्र मैथिल कवि-कोकिल विद्यापति अपन जीवनचर्या सँ हमरा सभ लेल छोड़ि गेल छथि। धन्य मिथिला - धन्य मैथिली - धन्य मैथिलत्व! 

हरेक वर्षक भाँति अहु वर्ष शुरुआत संस्कृतिके उजागर करयवाला झाँकी-जुलूससँ कैल गेल, एहिमें पवित्र मिथिला धरासँ जनलि जनक जननी चारू बहिन (दूलहिनरूपमें) आ अवधनरेश दशरथपुत्र मर्यादा पुरुषोत्तम राम याने मिथिलाक पाहुन चारू दूलहा के संग सहभागी होइत झाँकीकेर अध्यक्षता कयने छलाह, संगमें गुरु वशिष्ठ आ साक्षात्‌ महादेव, जतय मालिक ततय भक्त याने विद्यापतिजी समेत समस्त मिथिलावासी अपन-अपन मूल संस्कृतिक झाँकीके संग समूचा विराटनगरक परिक्रमा करैत विद्यापति समेत तीन महाकविक शालीक राखल त्रिमूर्ति चौकपर पहुँचि श्रद्धाञ्जलि सुमन अर्पण करैत कार्यक्रम स्थल लौटैत काल प्रमुख अतिथि महामहिम उपराष्ट्रपति सेहो एहि झाँकीमें प्रवेश कय गेलाह जाहिसँ एना लागल जे एक बेर फेर अपन भक्तक मान-बढौवैल हेतु स्वयं महादेव विद्यापतिक उगना बनि आम जनमानसमें भक्त-सेवक बनि आबि गेल छलाह। अति-विहंगम दृश्य छल! शब्दमें वर्णन कविक क्षमता सऽ एकदम दूर! जुलूस-मार्गक दू-बगली लोकक भीड़ मानू झाँकीकेर स्वागत फूल वर्षा कय के कऽ रहल छल! 

झाँकी समेत जुलूस प्रवेश कयलक कार्यक्रम स्थलपर जतय बहुत पहिनहि सऽ हजारोंके संख्यामें उपस्थित लोकक तालीके गुँज आ  हाथमें फूल-माला लेने आयोजक समितिक तरफ सँ अभिनन्दन करनिहार उपराष्ट्रपति महोदयकेँ श्रद्धापूर्ण स्वागत कयलन्हि आ अत्यंत मनोरम वातावरणमें मंचक माध्यम सँ महाकवि-कोकिल विद्यापतिक स्मृतिमें स्रष्टा लोकनि अपन-अपन विचार रखैत मैथिली आ मिथिला संस्कृतिक यशगानक संग, समस्या-निदान आ संरक्षण हेतु चिन्तन-मनन-गुणन कयलन्हि। प्रमुख अतिथि अपन विचार देबाक क्रममें मैथिली भाषाक संवर्धन हेतु वचनबद्धता प्रकट कयलन्हि तहिना खूद मैथिलसँ अपन भाषा व संस्कृतिक लेल जागरुक बनैत आत्म-स्वाभिमान लेल प्रतिबद्ध बनबाक आह्वान कयलन्हि। भारत सँ आयल बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजु’, डा. धनाकर ठाकुर, भूपू सांसद सुखदेव पासवान, भूपू विधायक लक्ष्मी ना. मेहता, सियाराम झा सरस, डा. देवेन्द्र झा अपन-अपन उत्कृष्ट विचार आ कार्यक्रम सफलताक संग विराटनगरवासीकेँ भूरि-भूरि धन्यवाद देलाह जे अपन संस्कृतिके संरक्षण लेल एतेक विशाल प्रयास सभ कय रहल छथि। तहिना सम्माननीय प्रधानमंत्री बाबुराम भट्टराईजी केर विशेष शुभकामना संदेश लेने पहुँचल हुनकर प्रेस सलाहकार एवं विराटनगरक पुरान कर्मठ मैथिल अभियानी रामरिझन यादवजी वाचन कयके उपस्थित जनमानसकेँ सुनौने छलाह। तहिना नेपालक तरफसँ मुख्य वक्तामें माननीय सांसद जयराम यादव, भूपू सांसद खुशीलाल मंडल, प्राज्ञ डा. राम भरोस कापड़ि, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, महेश रेग्मी, महेश जाजु, करुणा झा, भानुभक्त पोखरेल, श्याम अधिकारी, डा. नारायण कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता कालीकुमार लाल, डा. महानन्द मिश्र, दयानन्द दिकपाल यदुवंशी लगायत विभिन्न अन्य वक्ता सभ अपन सद्भावना संवाद प्रकट केने छलाह। उद्‌घाटन कार्यक्रममें मैथिली साहित्य क्षेत्रमें अपन अपूर्व योगदान देनिहार लेखक प्रफुल्ल कुमार सिन्हा ‘मौन’ तथा नेपाली साहित्यमें योगदान पहुँचेनिहार कवि भानुभक्त पोखरेलजी केर अलग-अलग पुस्तक विमोचन कैल गेल छल। तदोपरान्त विभिन्न क्षेत्रमें उल्लेखणीय योगदान केनिहार विशिष्ट व्यक्तित्व सभक सम्मानक कार्यक्रम कैल गेल छल। सम्मानित व्यक्तित्वमें विराटनगर मैथिल समाजकेर वरिष्ठ एवं उत्साही समाजसेवी डा. सुरेन्द्र ना. मिश्र, मिथिला चित्रकलाके वैश्विक परिवेशमें प्रवेश करौनिहार मिथिला पेन्टिंगकेर महान चित्रकार एस. सी. सुमन, समस्त मिथिलांचलक साहित्यजगतमें अपन विशिष्ट योगदान देनिहार कवि सियाराम झा सरस, दहेज मुक्त मिथिलाक लेल समाजमें जागृति पसारैत महिला-अधिकार लेल संघर्षशील नेतृ करुणा झा, पुर्वाञ्चल क्षेत्रमें मैथिली लेखनमें उत्कृष्ट योगदान देनिहार दयानन्द दिकपाल यदुवंशी केँ महामहिम उपराष्ट्रपतिजीके हाथसँ सम्मानित करायल गेल छल। सम्मानित अन्य व्यक्तित्वसभमें रुपा झा - धीरेन्द्र प्रेमर्षि, वरुणमाला मिश्रा, नवीन कर्ण तथा विगत वर्षक समारोहमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करनिहार विभिन्न सहभागी विद्यालय, बाल-कलाकार सभकेँ सेहो सम्मानित कैल गेल छल।

कार्यक्रम उद्घाटन सत्र उपरान्त मिथिला पेन्टिंग प्रदर्शनीक उद्घाटन कैल गेल। एहि प्रदर्शनीमें एस. सी. सुमन, मदनकला देवीक चित्रकलाके संग विभिन्न स्थानीय कलाकारक चित्र सभ समेटल गेल छल। उपराष्ट्रपति स्वयं अवलोकन करैत एहि कलाके संवर्धन हेतु राजकीय प्रयास हेतु वचन देलन्हि। एहि समारोहके एक अत्यन्त प्रमुख विषय रहल मिथिला पेन्टिंग आर्ट गैलरी! स्कूली विद्यार्थी संग आम लोक एकर तकनीकी पहलू सभपर अध्ययन करैत देखेला।  तदोपरान्त मिथिला खानपान समारोहमें प्रमुख अतिथि स्वरुचि भोजमें सहभागी बनैत मिथिलाक विभिन्न स्वादिष्ट व्यंञ्जनके आनन्द प्राप्त करैत सांस्कृतिक कार्यक्रमकेर आनन्द सेहो उठेलन्हि आ पुन: किछु देर में हुनक प्रस्थान भेल। पहिल वर्षक भव्य प्रस्तुति उपरान्त पुन: एहि वर्ष फेर एक बेर मिथिलाक सुप्रसिद्ध कलाकार कुञ्जबिहारी मिश्र द्वारा विद्यापतिक गीत संग मैथिली गीत-संगीत के भव्य प्रस्तुतिक आनन्द लोक देर राइत तक उठेलन्हि। 

दोसर दिनक कार्यक्रम मौसमक बिपरीत अवस्थाके बावजूद कनेक देरी सँ शुरु भेल आ बाल-बालिका सभक प्रस्तुति सँ क्रमश: रंग पकड़लक। विराटनगर जिला शिक्षा अधिकारी श्री योगेन्द्र बरालजीके प्रमुख आतिथ्यमें एक अक्षय कोष के निर्माण कैल गेल जेकर नियमन बादमें कैल जायत आ लगभग २ लाख टाका एहि अक्षय कोष हेतु देनिहार दाता सामने अयलाह। हलाँकि एकर नियमन एहि वर्ष विभिन्न कारण सँ एखन धरि संभव नहि भेल अछि, मुदा शीघ्रहि एकर नियमन कैल जायत ताहि लेल संस्था कृत-संकल्पित अछि। 

पुनः कार्यक्रम के दोसर सत्र प्रारंभ भेल जाहिमें समस्त मिथिला क्षेत्रसँ आयल नामी-गिरामी कवि लोकनि अपन-अपन रचना सुनाय उपस्थित जनमानसकेँ साहित्यक सुषुम्ना जाग्रत करैत संस्कृति-विकास हेतु प्रेरित कयलन्हि। एहि कवि गोष्ठीक अध्यक्षता सुप्रसिद्ध गीतकार-कवि सियाराम झा सरस कयलन्हि तऽ समीक्षा लेल बिहार विश्वविद्यालय केर भूपू मैथिली विभागाध्यक्ष डा. देवेन्द्र झा जी केर गरिमामय उपस्थिति विराटनगरवासी लेल अपूर्व रहल। लगभग दुइ घंटा धरि विभिन्न कवि लोकनि अपन-अपन रचना सँ जनमानस के साहित्य-प्रेरणा सँ प्रेरित कयलन्हि।

कार्यक्रममें पहिले मौसमक खराबीके चलते देरी भेलाक कारण प्रस्तावित विद्वत्‌ सभाकेर आयोजन नहि कैल जा सकल मुदा चिर-परिचित विद्वान्‌ डा. देवेन्द्र झा केर छोट मुदा सान्दर्भिक प्रस्तुति सँ एक बेर फेर विराटनगर ओत-प्रोत भेल। अफसोस जे हम सभ प्राज्ञ रामभरोस कापड़ि, धीरेन्द्र प्रेमर्षि लगायत अनेको विद्वानक वाचनसँ वंचित रहि गेलहुँ!

समारोहमें पहिल दिनक रंगारंग प्रस्तुति के सुनलाके बाद दोसर दिन जनमानस सँ एक बेर फेर कुञ्जबिहारीजीक प्रस्तुतिक माँग जोर पकडलक, तदनुसार जबरदस्ती पुन: लोकक मंशा पूरा करबाक लेल आयोजक वर्गकेर मजबूरी सँ पुनअ सांगीतिक संध्याक शुरुआत भेल जे एहेन रंग पकडलक कि फेर रुकय के नाम नहि लेलक, एक-पर-एक प्रस्तुतिसँ वातावरण संगीतमय बनल रहल। स्थानीय कलाकार सभ सेहो अपन बेर लेल आयोजकवर्गकेँ दबाव बनबैत रहलाह! भव्य कार्यक्रम भेल! रातिक १ बजे धरि ई कार्यक्रम निरंतरता पौलक जेकर चलते समापन समारोह काफी संछिप्त व संकुचित कैल गेल। लेकिन कार्यकर्तामें एहेन नव उर्जाक संचरण भेल जे विराटनगरमें ई समारोह राष्ट्रीय पर्वक रूपमें स्थापित बनि गेल, बनि जायत, बनय पड़त से निर्णय लेल गेल। 

विद्यापति स्मृति पर्व समारोह २०६८ के अपार सफलता उपरान्त पुनः २०६९, ७०, ७१... आ अनन्त काल धरि के लेल मैथिली आ मिथिलाक आवाज बुलंद होइत रहय ताहि शुभकामनाक संग!

प्रवीण नारायण चौधरी - संयोजक!


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