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शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

MITHILAAK PAAGAK RAKSHAA KARU

सुतल मैथिल आबहु जाग

केहन भेल छै पागक भाग
सुतल मैथिल आबहु जाग
केs कटतउ बारी केर साग
छौ फुफकारैत बैसल नाग

नहि देखै छै दिन ओ राति
बांटि रहल कहि कs जाति
बी एलर्ट पछतायब पछाति
चिन्ह केs कुकुराहाक नाति

बैसल अछि घर मे नोचय चार
लड़ा रहल कहि बाभन ओ रार
ओझरओने ओ छुतहरबा सार
पहिरि बैसल छौ मखानक हार

कहैछ निज कें मैथिल सेवी
काटि रहलैछ बरमहल जेबी
पूछही कहतौ दिस दैट मे बी
ध्यान लगौने कतय जिलेबी

देखैत लगइए मिधि-मिसराइन
मिथिला हेतु अछि बड़का डाइन
आंगुर जोडैए थ्री-सिक्स-नाइन
जखन-तखन छकरइए आइन

मैथिल सम्हरै छौ एखने बेर
बनल बैसल छौ नढ़िया शेर
लाभ देखैत ओ टपकाबय लेर
ने बाट बिसर सुनि बातक फेर

मिथिला जनैछ निश्चय विद्वान्
उडै छैक कौआ पकड़ तों कान
पावन पाग-पान, माछ-मखान
मैथिल केर यएह थिक पहिचान

— रूपेश कुमार झा 'त्योंथ'

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