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शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

MAITHIL JANTA KER ABHILASHA

मैथिल जनताक की अभिलाषा - अप्पन धरती, अप्पन भाषा 
चाही ककरो सोना चानी - हमरा चाही अप्पन वाणी
कियो नहीं दोसर, कियो नहीं आन - सब मैथिल छथि एक समान 
मैथिली भाषा के राखह मान- घर आँगन खेत खरिहांन
दूर जो, दूर जो, परदेशी भाषा - अप्पन भाषा मैथिली भाषा 
जा धरि धरती, नील अकाश- ता धरि मिथिला, मैथिल बास
अप्पन भाषा अप्पन भे श- घर घर पंहुचय ई सन्देश
जगतय युवक जगतय गाम - तखने बनतई मिथिला धाम
अप्पन मुखिया, अप्पन पञ्च- गाम संभारथि युवक मंच
भाई, बहिनि सब जोर लगाऊ - ग्राम विकास लेल आगा आउ
चारि कड़ोरक की अभिलाषा - मिथिला राज्य आ मैथिली भाषा
मैथिली अप्पन भाषा अछि - जन जनके अभिलाषा अछि
जखने जगतय एक एक गाम तखने जगतय मिथिलाधाम
नहि कोनो भदवा नहि कोनो शूल – समय गमायब बडका भूल
नबतुरिया सब करू मिलान - संकटमें अछि मिथिलाधाम
रोजी रोटी पाकल आम - मांगी रहल अछि मिथिलाक गाम
जागू हे मिथिला संतान - शत्रु कुकर्मी चढ़ल दलान
तिलक दहेज़ समाजक पीड़ा - करू नाश, उठाऊ बीड़ा
जाति पांति के कोन प्रपंच - सबस बढ़ी कय मिथिला मंच
कियो नहीं बडका, कियो नहीं छोट - सबहक दाबी एकही भोट
मिथिला मुक्तिक की संवाद - मैथिल एकता जिंदाबाद
-----श्रीराजकुमार मिश्र

आगा आगा टिकी बाला पांछा पांछा टोपीवाला - ल क रहतेय मिथिला राज्य, ल क रहतेय मिथिला राज्य
मुडिया के पान खेतय कुर्सों के खाजा - सब मिला कय बजा देतय बिहार के बाजा

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