उपन्यास
हमारा लग रहब :२
मिथ्लाकगाम्घर : गामक पछ्बरिया -दक्शिन्बरिया लों पर , एक दम बाग्मतिक धार स सटल । तकर उत्तर में काची सरक आ सड़क के उत्तर स पसरल भुतहा बाढ़ । मुर्द्घत्ति में दुटा पिपरक गाछ आ एकता आमक बिशाल सुखायल गाछ छलैक ।जखन कखनो मुर्दा जराब लोक मुर्द्घती आबैत छलैक । आइ मुर्द्घती लग देने महिष लेने सरक पर जैतप्रणव सभ सब दिन सिहरी जैत छल ।झट महिसक सड़क स उत्तरी बाढ़ म तप लेत छल ।मुदा सरकक काट में बाढ़ स पहिने कल्लू चौधरीक बरका गाछी चलें - सूचा कलामी आमक । आजुक दिन अहि गाछी में मुनारा के भुत पटकी देने छलाई ।लूक्रा स चुरैल चुन -तमाकू मांगने छलैक ।भुट्टा के टी बाँही के खिहारने रहैक भूत , बान्हे पर बेहोश भ गेल छल ।रुद उगला पर चर्बाहा सभ उठा के गाम आन्ने छलैक आ घुरण मिश्र झार - फूक कैने छलथिन ।
मुदा मुर्द्घुत्ति में टी अड्डे छलैक - भूत - चुरैलक । घुरण मिश्र कहैत छलथिन सभके, जे आनाह्रिया राती में पीपर आ बराक गाछ पर भूत, जीं आसन जमौने रहित छैक आ निचा समसान में डैन - चूरानी सभ नंगते नाचैत छैक ।पेरक उनटा पंजा आ नाकियैत स्वर ।घुरण मिश्र ते महाष्ट्मिक राती सेहो समसान साधित छलाह , डैने - जोगिन बश में छलैन ।हुनके डरे गामोक बेशी लोग के तंग नहीं करैत छलैक भूत प्रीत ।
मुदा प्रणव क्र बार डर लागैत छलैक ।बेशी आन्हार में महिष नहीं खोलैत छल । झाल्फाल ईजोत भेला पर महिष खोली पहिने सरके - सरक मुर्द्घत्ति धरी आस्ते - आस्ते लाबैत छल , आ मुर्द्घत्ति लग अबिते महिष के जोर स दौरा देत छलैक बाधमे । तहियो सबटा रोइया भुलाकी जाइत छलैक । लागैत छलैक जेना कियो पछा स खेहारने आबैत होई ।
मुदा सभ स बेसी देराईट छल ओ स्कूल स । भूतो स बेशी रोइया भूल्कैत छलैक ओकर नेंग्रा गुरूजी के नाम स । एकदम कसाई छलैक गुरूजी । ख्जूरक मोटका छारी स सौसे देह दागी देत छलैक, लाल्बिथुआ स सौसे देह चकता जेका उगी जाइत छलैक , बिश्बिशाईट रहित छलैक । देहमे नहीं गंजी , नहीं अंगा , उघार देह , मेल- फाटल पैंट के सेहो समेटी क पोनपर चकता उगा देत छलैक ।आ ओ झंझ्नाईट देह लेने घरमे ममी स नूकाइल फिरैत छल । मामी देखिये लेत छलैक - आई फेर कसैया मार्लाकाऊ तोरा , हर हरी बज्र खसतैक ओकरा पर । गरीबक आही ज़रा देतैक निरदैया के । कोना कसाई जका नेना के मारलक -ए - हाउ देब । मामी ओकरा करेज स सता लैत छलैक । हाथ लागला स फूटल देह आर छान - छाना उठैत छलैक , मुदा मामी क आँखिक नोर आ देहक शीतलता सब टा छंछानी के लागले कम् क देत छलैक
आ नाहक के डटा जाइत छलाह बेचारे मामा । आँगन में पैर दैताही मामी बमकी उठैत छलथिन - अहाँ अहि कसैया गुरूजी के किछु कहबैक सह नहीं होइत अछि ? सभ दिन नेना केर देह फुला देत अछि आ मौनी बाबा जेका आहा हमर बात सुनी गूम रही जाइत छि । आई नहीं जायब आहा ते हमही कहबैक ओही राक्छास के । एक टा टांग तूतले छैक , दोस्रो तोरी देबैक ।
मामी चिकारी उठैत छलीह - ओही कसयाक देवता कहैत छियैक ? कठिलेल मारैत छैक , हम नहीं भुजैत छियैक ? सनिश्चारी नहीं ल जाइत छैक तकर तामस सबक केर नाम पर उतारैत छैक । आ सबक कोना याद करौ हमर नेना ? एक्को टा किताब छैक ? एक टा फूट्लाहा स्लेट आ गाबिध ल क आई ५ बरख स स्कूल जाइत अछि । तहियो केक्रोस कम अछि हमर नेना ? करतीं कियो मुकाबला बाबु - भैयक नेना जिनका लग एक झोरा कॉपी - किताब रहित छैन ? आई गुरूजी क कप्पार फोरी देबैक हम एक दिन खापरी स ।
प्रनाव्के खापरी स कपार फोर्बाक बात पर हशी लैग जैत छलैक । आ ओकरा हसित देखि मामियो केर क्रोध बिला जाइत छलैन । ओहो हँसा लागैत छलथिन । मामा मौका देखि किम्ह्रो सासरी जाइत छलाह ।
मुदा मामी ओकरा नहीं छोरैत छलैक । अपने हाथे कहा - पीआ संग सूता लैत छलैक । बहूत रास खिस्सा सब कहैत छलैक , मनियार्बा दैत्य वाला , हक्काली डैने । मुदा प्रणव के निन्न नहीं होइत छलैक --
" सुगी रानी क खिस्सा कहू मामी "
आ मामी कहैत छलैक
सुगी रानी सुगी रानी कता जाइत छि ?
साईं पूत मारलक-इ रूसल जाइत छि ।।
हमारा लग रहब?
रहब ने कियक ?
खाय की देब ?
सूखा रोटी ।
सूताय की देब ......?
शितलपाती ।
सुगी रानी नहीं रूकैत छलीह , सूखा न्रोती खेनाई आ शीतल पाती पर सूत्नाई हुनका मंजूर नहीं होइत छलैन । मुदा मामी क संगे शीतल पाती पर परल प्रणव सूखा रोटी खा क सुगी रानी क खिस्सा सुनैत सूती रहित छल । निभेर सूतैत छल आ झाल्फाल ईजोत में महिष खोली भूता बाढ़ में निकली जाइत छल ।
बाढ़ स घुरी पोखरी स नहा आबैत छल आ हाथ में सिलेट गाबिश ल मामिक कहैत छलैन - स्कूल जैत छि मामी ।
मामी दौरी क बहार आबैत छलथिन आ ओकर पैंटक पोच्केट में कहियो मकैक लाबा , कहियो तम्हा चूर , आ कहियो - कहियो मुरही डी देत छलथिन आ ओ फाकैत - फकैत स्कूल दिश दौरी जाइत छल ।
मुदा कोनो कोनो दिन ओ दू बेर - तीन बेर चिचियैत छल -मामी , जाइत छि । मुदा मामी घर स नहीं बहरैत छलथीं । ओ भुजी जाइत छल आ फेर चिचिआक कहैत छल - आई हम जलखई नहीं करब , भूख नहीं अछि ।
मुदा स्कूल स घुर्लो पर मामी सामने नहीं आबैत छलथिन ।
एक टा मौनी ल क प्रणव दौरिक चुनु के पूताहू लग चल जाइत छल - थोरे मुरही दे चुनु के पुतहु ।
चुनुक पुतहु मोलायम स्वर में कहैत छलैक - कोनो बेचा हाउ बौउआ ?
नहीं आई किछु नहीं अछि । ओहिना दे । दोसर दिन डी देबौक । मामी के नहीं कहिय्हिक । प्रणव कने आधिकार स कहैत छलैक । चुन्नू के पूताहू ओकरा मानित छलैक । अपन छोटकी मौनी स २-३ मौनी मुरही देत छलैक आ प्रणव भागी केर आँगन आबैत छल । तखन मामी घुरी के ताकैत छलैक ओकरा दिश । मुदा दुनु आखी नोर स भरल । भट-भट खस लगैत छलैक ओकरा अपने हाथे मुरही खुआबैत काल ।
मुदा गुरूजी के कनियो दया - माया नहीं होइत छलैक ओकरा देंगाबैक काल । सनी दीन के सभ चटिया लाइन में ठाढ़ होइत छलैक । एक टा चटिया आगू - आगू पढैत छलैक आ सभ दोहराबैत छलैक :-
गणेश जी महराज चधिये तुरग
नौ सौ मोती झलके अग
एक मोती हरी तालम ताला
गुरु प्धाबे पंडित वाला
पंडित वाला देहु आशीष
जियो लरका लाख बारिश ।
मुदा गुरूजी लाख बर्ष जीबाक आशीष देबाक बदला ख्जूरक मोटका छारी ल लाइन में ठाढ़ चटिया हक़ मूह देखैत नेंग्रा टांग के इम्हर स उम्हर घिसियाबैत छलैक । जिनकर सनिश्चारी कम् रहलें हुनका चाट १ छारी -ठीक से पढो । आ प्रणव लग आबी आखी रंगी जाइत छलैन --सभ सनिक वैह हाल । ने एको टा पाई , नहीं एक्को कंमा चऊर । लाइन स घिची लैत छलथिन बाहर आ चटचट छारी मारी देह फूला देत छलथिन - ठीक से लाइन में खरा होना नहीं आता है ? उचारण एकदम भ्रस्त । कॉपी किताब कहा है ? असहाय मारी खेत प्रणव आ डेरेल ठाढ़ बाकी चटिया सभ । मुदा दू गोते खिल्खिलाके हसित छलैक । प्रणव के मारी लागला पर सभ दीन । जेना बार आनंद आबी रहल होई । खिल-खिल-खिल-खिल ।
गुरूजी के साहश नहीं छलैन जे दुनु के तोक्त्हीं -- एना हसित कियैक छे ? उघार देह पर अनवरत छारी बरिसित छलैक --चट -चट आ दुनु छुरी लगातार हसित छलैक -खिल-खिल...खिल-खिल ।
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