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शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

upanyaas: hamaraa lag rahab

उपन्यास : हमारा लग रहब  १ ; 


हमारा लग रहब 


सभस पहिने मामी । एही लेल नहीं जे माय नहीं छलैक , मामिये पोसी -पालिक पिघ केने छलैक । एही लेल जे अपन संपूर्ण जीवन में स्नेहक छहारी लेल घुरी क तक्लापर प्रणव के एके टा नाम भेटैत छलैक । अहि लेल जे मों पर्बाक लेल जे पहिल नाम ओकर दिमाग में आबैत छलैक , मामिये छलैक । ओकर बीत्लाहा जिनगी के कहना , कतहु स शुरू कैल जाय , पहिल नाम हरदम मामिएक रातिक । ओकर कथा मामे -गाम्सन शुरू होयत छल ।
मामा गाम माने विलासपुर गाम जेकर पूव , उत्तर आ दछिन में बाग्मतिक ढहर छलैक आ पश्छिम में छलैक रेलवे लाइन । रेलवे स्टेशन नहीं , ओ ते छलैक धारक ओही पार - एक मील स कम्मे पर , दक्षिण दिश । धारक कछेरक तिलहा पर स स्टेशन ते नहीं , मुदा सिग्नल ओहिना दिखाई देत छलैक । सोझा ठाढ़ ते यात्रिक देग अस्कतायल आ निचा खसल - ते खसैत पारित धार पार क येह ले , वैह ले .... सिग्नल लग दौर के पहिने पहुची गेल , त पौ बारह  , आ गारिक पहिने सिग्नल पार क गेलिक त ई इंजन जका धक् - धक् करैत करेज के  शांत कार्बा लेल हतास यात्री गूम्तिये  पर बैस जीत छल - अगिला गारी फेर सांझे । दीं भरी में दुइये ता गारी छलैक दरभंगा केर लेल - ९ बजे भोर या ५ बजे सांझ । गूमते लंग झंडा लेने ठाढ़ बिहारी मंडल लोताक -लोटा पानी पीया जरित  कथ   के शांत करैत छल ।


मुदा प्रणव केर कोण मतलब छल ट्रेन आ दरभंगा स । ओ त गारी पर chad-lo नहीं छल । ओ त भोरे महीस  खोली पछबारी में बाढ़ में निकलि जैत छल ।- मामा-मामी सुतले रहैत  छलखिन ,टखने पसरक बेर , झाल्फाल इजोत आ भुतहा बाध । मुदा बाध स पहिने चलिक मुर्द घट्टी,  

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