Blogger templates

रविवार, 20 अप्रैल 2014

भोट करू देश हितमे

-कुमार शैलेन्द्र

ई लोकसभा चुनाव की सभ दऽ कऽ जायत। दिल्ली जकाँ कोनो असमञ्जस? किंवा अटल बिहारी वाजपेयीक पहिल सरकार जकाँ कोनो संकट किंवा आर किछु। पता नञि सभ किछु गर्भमे अछि। भविष्यक गर्भमे। हमरा लोकनि सभ किछु भविष्यपर छोड़ि दै छी। जे हेतै देखल जेतै। जे भोग भोगबाक हैत से भोगि लेब। मतदान कोन उद्देश्यसँ करै छी ताहि सभसँ फराक, निराकार। खसा देबाक अछि भोट। बिना ई बुझने जे यैह भोट बनबैत अछि, हमरा लोकनिक भविष्य। यैह भोट बनबैत अछि देश। यैह भोट हमरा अहाँकेँ दैत अछि रोजी-रोटी। यैह भोट गरीबी, अशिक्षाकेँ  दूर करबाक सपना बुनैत अछि। यैह भोट हमरा लोकनिक सभसँ मूल्यवान आशा अछि। मुदा एही भोटकेँ अनेरे खसा अबै छी हम सभ।
-कहियो सोचलियै? भोट खसेबासँ पहिने। ई भोट ओकरा किएक, ओकरा किएक नञि। कहियो सोचलियै जे पछिला पाँच बरख जे अहाँक जनप्रतिनिधि छल से अपन क्षेत्रक वास्ते की सभ केलक। संसद केर कार्यवाहीमे ओकर कतेक भूमिका रहलै। ओकर व्यवहार ओहि ठाम सकारात्मक रहै वा नकारात्मक। लोकसभामे अपन योगदानसँ ओ क्षेत्रक नाम बढ़ौलक वा घिनौलक? कहियो ओकर काजक मूल्यांकन करबाक इच्छा भेल।
-अपन जनप्रतिनिधिक कएल काजक मूल्यांकन करब सीखक चाही। जेँ कि हमरा लोकनि ई नञि कऽ सकलहँु एकर कोनो परम्परा नञि बनौलहँु तेँ कोनो जनप्रतिनिधि चुनाव जितलाक बाद हमरा अहाँक खोज -खबरि लेबऽ नञि आएल। ई सनातनी परम्परा टूटक चाही। कहिया धरि ओहिना निमूधन सन तमसगीर बनल अपन जनप्रतिनिधिकेँ लोकसभामे महत्वहीन भेल देखैत रहब। जे कोनो जोगरक साबित नञि भेल तकरा जितायब लोकतंत्रक विरुद्ध अपराध थिक। हमरालोकनि अपन अगिला पीढ़ीक प्रति दोषी बनि रहल छी। एहन दोष हमरा लोकनि कहिया धरि उघैत रहब?
- कहियो नीक जकाँ विचारि कऽ देखलियै जे अहाँक जाति अहाँकेँ की सभ देलक। अहाँक जातिक प्रत्याशी जखन अहाँ लोेकनिक भोटसँ जीतल तकर बाद अहाँक जाति वास्ते ओ की केलक? जकरा अहाँ धर्मक आधारपर जितौलियै से अहाँक धर्मक वा मजहब केर वास्ते कल्याणक कोन काज सभ केलक? जे किछु कएल गेल से कतेक सार्थक रहल?
- की अहाँ एहने जनप्रतिनिधि चाहैत रही? कदापि नञि। जे अपन कोटाक राशिक सदुपयोग धरि नञि कऽ सकल, जे अपना क्षेत्रमे कोनो सार्थक भूमिका नञि निमाहि सकल तकरा भोट करबाक मतलब की। अहाँ विचार करब।
- देश आ समाजक  लेल कोन बात जरूरी छै। ई अहाँ नञि सोचबै तँ अहाँक जनप्रतिनिधि सेहो नञि सोचत। एक क्षणक स्वार्थक लेल देशक भविष्य कोनो अकाजक लोक केर हाथमे सौँपि देब कतहुसँ उचित नञि।
- अपन मोनकेँ कठोर बना कऽ जाति-जवारक भावनासँ ऊपर उठि कऽ, धर्म-सम्प्रदायक संकीर्णतासँ बाहर निकलि कऽ भोट करब तँ देश बनत। देश बनायब अहाँक हाथमे अछि। भोट करू विवेकसँ अपन ज्ञान-प्राणसँ देश हितमे। अहाँक भोट देश गढ़त तेँ सावधान रहब!

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें