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बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

स्वाधीनता समर केर आत्मबलिदानी चन्द्रशेखर आजाद - बलिदान दिवसपर विशेष


आजादीसँ पूर्व भारतमे अनेक रियासत छल। ओहिमेसँ एक छल अलीराजपुर। एकर गाम छल झबुआ। एहि गाममे एक गोट गरीब दम्पती छला- सीताराम तिवारी आ जगरानी देवी। हिनका घरमे 23 जुलाइ 1906 मे एक गोट पुत्र रत्नक प्राप्ति भेल छलनि। पुत्रक नाम चन्द्रशेखर राखल गेल। बालक चन्द्रशेखर बहुत सहासी आ निर्भीक छला।
अलीराजपुर पछुआयल छल। ओहि ठाम शिक्षाक बहुत कम प्रचार भेल छल। चन्द्रशेखर संस्कृ त पढ़ऽ चाहै छला। ओ अपन मनक बात माता-पिताकेँ कहलनि जे ओ काशीमे जा संस्कृत पढ़ऽ चाहै छथि। माता-पिता हुनका स्वीकृति नञि देलनि तँ एक दिन ओ चुपचाप घरसँ निकलि काशी पहुँचि गेला।
एखन चन्द्रशेखर मात्र 15 बरखक रहल हेता कि महात्मा गान्धीक असहयोग आन्दोलनमे ओ पढ़ाइ छोडि सम्मिलित भऽ गेला। चन्द्रशेखर जखन देखलनि जे अंग्रेज पुलिसकर्मी सत्याग्रहि लोकनिकेँ डण्टासँ पीटि रहल अछि तँ ओ एक गोट पाथर उठेलनि आ पुलिसकर्मीकेँ घायल कऽ देलनि।
चन्द्रशेखरकेँ पकड़बा लेल एक पुलिसकर्मी हुनका पाछाँ भागल। ओ पकड़ल तँ नञि गेला मुदा चानन-ठोपक कारणे ँ ओ शीघ्र चीन्हि लेल गेला। हुनका पकड़ि कऽ जखन मजिस्ट्रेटक समक्ष प्रस्तुत कयल गेल तँ ओ अपन नाम आजाद कहलनि। पिताक नाम पूछल जेबापर स्वतन्त्रता तथा घरक पता पूछल जेबापर जहल कहलनि। एहि प्रकारक उत्तरपर मैजिस्ट्रेट हुनका 15 बेंतक सजाय सुनेलक। प्रत्येक बेंतपर किशोर वय चन्द्रशेखर ‘वन्देमातरम्’ केर नारा लगबैत रहला। एकरा बाद ओ आजादक नामसँ प्रसिद्ध भेला। असहयोग आन्दोलन बन्न हेबापर आजादक समक्ष प्रश्न उपस्थित भेलनि जे ओ आब की करथि? कारण हुनक ह्दयमे स्वतंत्रता लेल आगि जरि रहल छलनि। संयोगवश हुनक भेट एक गोट क्र ान्तिकारीसँ भेलनि। तखन आजाद क्र ान्तिकारी दलमे सम्मिलित भऽ गेला। काशीमे आजादक भेट रामप्रसाद बिस्मिलसँ भेलनि। आजाद सम्पूर्ण उत्तर प्रदेशमे दलक जाल ओछा देबऽ चाहै छला। अत: ओ बहुत तत्परताक संग धन एकत्रित करबामे जुटि गेला।
दलक क्र ान्तिकारी सदस्यकेँ अस्त्र-शस्त्र उपलब्ध करेबा लेल धनक आवश्यकता छल। एहि लेल आजाद एक गोट बैंकसँ टाका जबर्दस्ती छिनबाक प्रयत्न केलनि। गाजीपुरक एक गोट धनी महन्थक शिष्य बनला जे ओकरासँ स्वाधीनता संग्राम लेल धन लेल जा सकय। ओना एहि कार्यमे आजादकेँ सफलता प्राप्त नञि भेलनि। हुनक समस्या जहिनाक तहिना बनल रहलनि। आजाद काशीमे एक क्रान्तिकारी पर्चा सेहो बँटलनि जे हुनका बहुत यश प्राप्त देलकनि। आजाद अपन चुतरतासँ पर्चाकेँ पुलिसक कार्यालयमे सेहो पहुँचा देलनि।
आजादकेँ गोली चलेबामे खूब निपुणता प्राप्त छलनि। हुनक निशाना कहियो नञि चूकै छलनि। एक बेर हुनक क्र ान्तिकारी संगी कहलनि जे- आजाद भाइ हमरा लोकनिक इच्छा अछि जे आइ अपनेक निशाना देखल जाय। आजाद कहलिन- ठीक अछि। सोझाँमे जे गाछ देखाइ दऽ रहल अछि ओकर पातपर हम गोली चलायब। आब सभक ध्यान ओहि पातक दिस आकर्षित भेल। आजाद एक केर बाद एक पाँच गोली चलेलनि मुदा, ई की? पात अपना स्थानपरसँ टससँ मस नञि भेल। जखन हुनक संगी लोकनि पातक लग जा देखलनि तँ हुनक आश्चर्यक सीमा नञि रहलनि। पातमे पाँचो गोली फराक फराक छेद केने छल।
आजादकेँ अपन दलक सदस्य लोकनिक भोजन-भातक सदिखन चिन्ता रहै छलनि। ओमहर आजादक माता-पिता भूखक कारणे ँ मरबाक बाटपर आबि गेल छला। आजादकेँ गणेश शंकर विद्यार्थी किछु टाका देलनि जाहिसँ आजाद अपन माता-पिताक भोजन-भातक व्यवस्था कऽ सकथि, मुदा आजाद ओहि टाकाके ँ क्रान्तिकारी तथा पेस्तौल आदि किनबापर खर्च कऽ देलनि। आजादकेँ माता-पितासँ पहिने देशपर आत्मबलिदान लेल तैयार भारत माताक पुत्र लोकनिक चिन्ता छलनि। धनक अभाव दलमे बनल रहल। दलक नेता रामप्रसाद बिस्मिलक सलाहपर 9 अगस्त 1925 केँ सरकारी खजाना छिनबाक योजना बनेलनि। एकरा लोक काकोरी काण्डक नामसँ जनै छथि। डकैतीक खबरि भेटैत देरी पुलिस सक्रिय भऽ उठल। कतेको क्र ान्तिकारी पकड़ि लेल गेल। बिस्मिल आ असफकाउल्ला खाँकेँ फाँसीक सजाय सुना देल गेलनि। ओना आजाद गिरफ्तार नञि भेला। दलक स्थिति जखन छिन्न-भिन्न हेबाक हालतिमे आबि गेल तखन आजाद सावरकर लग विचार लेबऽ लेल गेला। सावरकर दलकेँ फेरोसँ पुनर्गठित करबा लेल कहलनि। झाँसी आबि आजाद फेरोसँ दलकेँ संगठित करबामे लागि गेला। झाँसीमे आजादक भेट भगत सिंह आ राजगुरूसँ भेलनि। एकर बाद बटुकेश्वर दत्त आ दोसर कतेको क्रान्तिकारी लोकनिसँ हुनक भेट भेल। एकरा बाद एक गोट नव पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी केर गठन कयल गेल।
अक्टूबर 1928 मे साइमन कमीशन लाहौर पहुँचल। कमीशनक विरोध भेल। जुलूस बना टीसनपर विरोध लेल लाला लाजपतराजय गेला। अंग्रेज द्वारा लालाजीपर प्राणघातक आक्रमण कयल गेल। परिणामस्वरूप लालाजीक मृत्यु भऽ गेलनि। एहि घटनाक विरोधमे भगत सिंह आ आजाद आदि क्र ान्तिाकारी लोकनि सैण्डर्सक हत्या कऽ अपन बदला चुकता केलनि। एकरा बाद भगत सिंह आ आजादकेँ बन्दी बनेबा लेल अनेक प्रयास कयल गेल, मुदा अंग्रेजकेँ सफलात नञि प्राप्त भेल। भेष बदिल भगतसिंह कलकत्ता चलि गेला। एक बेर फेरोसँ भगत आ आजाद दलकेँ संगठित करबामे लागि गेला।
9 अप्रील 1929 के ँ एसेम्बलीमे पब्लिक सेफ्टी बिल द्वारा एहन कानून बनेबाक योजना बनल जाहिमे भारतीय मजूर हड़ताल नञि कऽ सकै छला आ ने अपन अधिकार लेल लड़ि सकै छला। एहि बिलक विरोध करबा लेल भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त दिल्ली पहुँचला। आजाद सेहो एहिमे जाय चाहै छला, मुदा बेसी सदस्यक मत नञि भेटि सकबाक कारणे ँ आजाद नञि जा सकला। असेम्बली पहुँचि भगत आ हुनक संगी द्वारा बिलक विरोधमे बम फेकल गेल। एकरा बाद भगत आ बटुकेश्वरकेँ गिरफ्तार कऽ लेल गेल। राजगुरु, सुखदेव आ यशपाल सेहो गिरफ्तार भऽ गेला। आजाकेँ पुलिस द्वारा जोरसँ शोरसँ ताकल जाय लागल। आजाद भगत सिंह आ बटुकेश्वरदत्तकेँ छोड़ेबाक योजना बना रहल छला, मुदा भगवती चरणक मृत्यु बम विस्फोटमे भऽ जेबासँ आजाद द्वारा भगत आ हुनक संगी लोकनिकेँ छोड़ाओल जेबाक प्रयास सफल नञि भऽ सकलनि। भगत सिंह, सुखदेव आ राजगुरुकेँ 23 मार्च 1931 केँ फाँसी दऽ देल गेलनि। बटुकेश्वरदत्तकेँ कालापानीक सजाय भेलनि। एहि सभसँ आजादक मन अस्थिर भऽ गेलनि। क्र ान्तिकारी लगभग टूटि गेल छल। ओना आजाद एखनो पुलिसक हाथ नञि लागल छला। दलकेँ मजगूत करबा लेल आजाद जखन प्रयागक एक गोट व्यक्ति लग अपन जमा कयल राशि लेबऽ लेल गेला तखन हुनक एक गोट सहयोगीक देशद्रोहिताक कारणे ँ आजाद फिरसानीमे पड़ि गेला। नॉट बाबरकेँ ओहि देशद्रोही द्वारा पता चलल ते आजाद इलाहाबादक अलफ्रेड पार्कमे अपन संगीसँ भेट करता। ओ योजना बनेलक आ पार्ककेँ घेरि लेलक। आजादकेँ अनुमान भेलनि तँ अपन संगीकेँ तँ पार्कसँ बाहर निकालि देलनि, मुदा अपने नञि बहरा सकला। दुनू दिससँ गोली चलल। अनेक पुलिसकेँ आजाद मारि खसेलनि। ओ दिन छल 27 फरवरी 1931 केर, भोरक लगभग साढ़े दस बाजि रहल छल जखन ई संघर्ष चलि रहल छल। आजाद संघर्ष कऽ रहल छला, मुदा अन्तमे जखन हुनका लग मात्र एक गोली बचलनि तँ ओ अपनाकेँ सभ दिन आजाद रखबाक घोषणाकेँ सार्थक करबा लेल ओहि गोलीकेँ स्वयं कनपट्टीपर पेस्तौल राखि मारि लेलनि। जीवैत आजादकेँ पकड़बाक अंग्रेजक सपना सपने रहि गेल। आजादसँ अंग्रेज सभकेँ ततेक डर होइ छल जे आजादक पार्थिव शरीर लग जेबाक साहस नञि करै छल। जखन ई मन मानि गेलै जे ठीके ओ जीवित नञि छथि तखन लग गेल। जाहि गाछक अढ़ लऽ आजाद ओहि ठाम संघर्ष केलनि ओ देशप्रेमी लोकनिक लेल तीर्थस्थल बनि गेल। अंग्रेज ओहि गाछकेँ सेहो कटबा देलक, मुदा आजाद लोकक हृदयमे जे स्थान बना नेने छला तकरा कोना हटबैत? आजादक पार्थिव शरीर भने हमरा लोकनिक बीच नञि अछि, मुदा ओ तँ आइयो एक-एक भारतवासीक हृदयमे विराजमान छथि। पुण्य-तिथपर हुनका श्रद्धा-पुष्प समर्पित। 

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