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रविवार, 28 जुलाई 2013

जन्मदिनक चिट्ठी ( कथा )

जन्मदिनक चिट्ठी कथा

सेतू जन्मदिनक पाँच दिन पहिनेसँ घरमे अनघोल केने छल जे एहि बेरका जन्म दिन पछिला बरखक तुलनामे नीकसँ मनायब। एना करब, ओना क रब। हिनका बजायब, हुनका बजायब। कुल मिला कऽ ओ जन्म दिनक तैयारी करबामे जूटि गेल छल। रहि रहि कऽ ओ अपना मायक गर्दनि पकरि कऽ कहै माँ कहि ने एहि बेर हमरा जन्म दिनपर की सभ बनतै?? देख पछिला बेर बाबुजी जे कपड़ा कीन कऽ देने रहथिन से हमरा नञि पसिन पड़ल छल। एहि बेर हम अपना पसनसँ कीनब। माय ओकरा बातपर कोनो जवाब नञि दै। बस मने मन मुस्किया दैत छल। सेतू किछु कालक बाद फेरो मायसँ पुछऽ लागल। माय एहि बेर हम अपना जन्मदिनमे दोस्त सभकेँ सेहो बजायब। ओ लोकनि अपना अपना जन्मदिनमे हमरा बजबैत अछि। तु ओकरा सभ लेल नीक वस्तु बनेबे ने? माय अन्तमे हारि कऽ सेतूकेँ दबारि देलक। जो तोरा काम धाम तँ छौ ने पाँच दिन पहिनेसँ जन्मदिनक बारेमे सोचि रहल छऽ। की जाने गेलौ जे एहि बेर जन्मदिन हेतौ की नञि।
मायक कुबोल भाखा सुनि सेतू चुपचाप मन मोससि कऽ खेलऽ लेल चलि गेल।
सेतू कक्षा पाँचक छात्र छल। ओकर पिताजी छोट छीन दोकान चला अपन परिवारक पेट चलबैत छला। दोकानसँ एतेक कमाइ नञि होइत छल जे घरक खर्चाक अतिरिक्त आन आन छोट खर्चा निकालल जा सकय। एहि लेल सेतू केर माय अपन घरक दू गोट कोठली भारापर लगा देने छली। सेतू ओना तँ मात्र 10 बरखक छल, मुदा ओकरा नीक जका बूझल छलै जे ओकर घरक स्थिति ओकर पित्ती सभक तुलनामे बड़ खराब अछि। दादा तँ ओकरा बड़ मानै छथिन, मुदा दादी, बड़का कका, छोटका कका आ दुनू काकी हुनका माय आ बाबुकेँ टोकबो नञि करै छथिन।
एतेक बात बूझल हेबाक बोद किछु छल ओ छल तँ अबोध नेना।

जेना जेना जन्मदिन लगीच आबि रहल छल तेना तेना सेतू केर मायक चिन्ता बढ़ि रहल छल। सेतूसँ बेसी चिन्ता ओकरा छलै। कारण ओ बूझैत छल जे सभ बरख सेतू केर जन्मदिन मानायल जाइत अछि। जँ एहि बेर कोनो कारण वस नञि भऽ सक तै तँ ओकरा बड़ खराब लागत।

सेतू आब अपन जन्मदिनक  कोनो बात मायक लगमे नञि बाजैत छल, मुदा अपन बहिन महिमा संगे ओ जन्मदिनक पूर्ण तैयारी कऽ रहल छल।

आइ रवि अछि। सेतूक जन्मदिन वला रवि। सेतू केर पिता भोरे 5 बजे दोकान चलि गेला। कारण शहरमे कोनो सरकारी परीक्षाक आयोजन अछि। हुनका पूर्ण विश्वास छलनि जे विभिन्न ठामसँ आयल छात्र छात्रा लोकनि कलम, पेंसिल, रबर आदि कीनऽ लेल अवश्य एता। सेतू केर माय जखन सुति कऽ उठली तँ देखलनि जे सेतू केर पिता घरमे नञि छथि। ओ बूझि गेला जे सम्भवत: आइ सवेरे दोकान खोलऽ लेल ओ चलि गेला। किछुए कालमे ओ चिन्तित होबऽ लागली। सहसा हुनका मोन पड़लनि जे आइ सेतू केर जन्मदिन अछि। की पता हुनका स्मरण छनि की नञि। ओमहर आन दिनक समान सेतू बिछावनसँ उठबाक बाद पर-पायखान गेल। एकरा बाद ओ चुपचाप घरमे जा सुति रहल। माय जानि गेली जे आइ सेतू रूसल अछि। ओ ई सोचिये रहल छली की एक गोटे हाथमे एक लीटर दूध नेने आयल। ओ व्यक्ति सेतू केर मायसँ कहलक जे महिमाक पिता ई दूध पठेलनि अछि। एक लीटर दूध देख सेतू मायक चिन्ता आरो बढ़ि गेल। कारण आइ घरमे एक लीटर दूधसँ की होयत। जन्मदिन मनेबा लेल कमसँ कम तीन वा चारि लीटर दूध तँ चाहिबे करी। एक लीटर दूध तँ प्रति दिन चाहमे आ सेतू-महिमाक जलखैमे समाप्त भऽ जाइत अछि।
सहसा सेतू केर मायकेँ मोन पड़लनि जे सम्भवत: हुनका मोन नञि होनि जे आइ सेतू केर जन्म दिन अछि। फोन करबा लेल ओ मोबाइल दिस दौगली, मुदा निराशा हाथ लागल। कारण मोबाइलमे बैलेंस नञि छल। आब तँ हुनका किछु फूरा नञि रहल छलनि जे आखिर ओ करती तँ की करती। तखन ओ देखलनि जे हुनका घरमे रहि रहल व्यक्ति तैयार भऽ कतौ जेबाक सुरसार कऽ रहल छला। सेतू केर माय धीरसँ ओहि व्यक्तिसँ पूछलनि। की अंहा टीशन होइत बजार जायब की? हाँ मे उत्तर भेटबाक बाद ओ हुनकासँ आग्रह केलनि जे ओ एक गोट पुर्जी लिख कऽ दै रहल छथि जेकरा सेतू केर पिताकेँ देबाक अछि। संगे ओ ओहि व्यक्तिकेँ दू लिटर दूध आनबा लेल पाइ सेहो देलनि। हुनकर सोच छलनि जे किछु होउ वा नञि सेतुक जन्मदिनपर तसमै तँ बनाओल जाये सकैत अछि।

ओ व्यक्ति टाका आ पुर्जी लऽ चुपचाप घरसँ बजार दिस निकलि गेल। नञि जानि बाटमे ओकरा की फुरेलै ओ पुर्जी निकाली कऽ पढ़ लागल। ओहिमे लिखल छल।
धारा तेल-2 किलो, रिफाइल 2 किलो, मटरपनीर 1/2 किलो, कटहर-1 किलो, मटर-1/2 किलो, आदि....

पुर्जीक अन्तमे दू लाइन समाद सेहो लिखल छल।
-आइ सेतूक जन्म दिन अछि। सभटा समान कीन दूपहर 1 बजे धरि घर आबि जायब। सेतू भोरेसँ रूसल अछि।

ई चिट्ठी पढ़ि ओहि व्यक्तिक मोन अनमना गेल। ओ दोकानपर जा पुर्जी सेतू केर पिता कऽ दऽ देलनि। दोकानपरसँ निकलबाक बाद ओ भरि दिन सोचैत रहल जे विज्ञान भने कतबो विकसित कियक नञि भऽ जाय, समयपर पुरने वस्तु काज दैत अछि। मोबाइल केर युग सभ ठाम कियक नञि पसरि जाय। आइ सेतू मायक  मदति वैह पुरना चिट्ठी वला माध्यम केलक। की एहि सभ लेल हमरा लोकनि कतौ ने कतौ दोषी नञि छी????

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