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बुधवार, 5 जून 2013

साक्षर

विहनि कथा-54
साक्षर

- रौ बिदेसरा, काल्हि सब बापुत आबि जैहें ।
- से किएक मालिक ?
- काल्हि बाबूक बरखी छै ।भोज-भात हेतै ।पात तँ तुँही सब उठेबहीं ने ?
- हम किए उठेबै? अपनेसँ उठा लेब अहाँ ।
- रौ, तोहर बापे-बाबा करैत एलौ ।छोट जातिक तँ ई काजे छै ।
- मालिक, अहाँ ककरा छोट कहैत छी ?बाप-बाबा कऽ एलाह हम सब नै करब ।
- एना जुनि बाज ।काज तँ पूजा होइत छौ ।कर्म कर ।
- यौ मालिक, आब हमहूँ सब बुझि गेलियै जे कोन काज हमर हितमे अछि ।आब हमहूँ सब साक्षर भऽ गेलियै ।डाकडर-इन्जिनियर बनि टाका छापब ।पात नै उठाएब ।

अमित मिश्र

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