कृष्ण सन सारथी बनि रथकेँ आगू बढ़ाऊ,
पृथक मिथिला राज्य लेल सदिखन आगू बैढ़ैत जाउ।
ई राजा विदेहक नगरी,
कतेक दिनसँ कानि रहल,
भोजपुर, मगधसँ अधिकार लेबऽ मे
बेर बेर ई हारि रहल
जे किछु निज अधिकार एकर अछि,
एहि मिथिलाकेँ सभ क्यौ दियाऊ
पृथक मिथिला राज्य लेल सदिखन आगू बैढ़ैत जाउ।
सभ ठाम विकासक बसात बहैत अछि,
एहि ठामक विकास कियक ठमकल अछि,
गम कऽ वला जनक फुलवारी,
आइ कियक एतेक महकल अछि,
लिखी देलक जे कर्म विधाता,
मैथील ओकर बदलैत जााउ,
पृथक मिथिला राज्य लेल सदिखन आगू बैढ़ैत जाउ।
कृष्ण सन सारथी बनि रथकेँ आगू बढ़ाऊ,
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