मिथिलाक गाम घर
बेटी केर नहीं बुझु कम ,
अवसर भेटल जहिया हिनका
साबित केलक अपन दम .
बेटी , बहिन्न , माँ बनि जग मे
करैयै मेहनत केर निज ओ श्रम ,
मुदा अपन मुह अपने कहियो
नहीं भरलक ओ बेसी दंभ .
कखनो लक्ष्मि कखनो काली
हिनका गोर लागै छि हम ,
मुदा अबला बनि जखन इ जीबै
आखि भ जैत अछि "रोशन" हमर नम
रोशन कुमार झा
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