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मंगलवार, 8 मई 2012

मोन एहन जे मानबे नहि करैए बहूत मनेलौ मुदा नाहीये मानिए

मिथिलाक गाम घर :

मोन एहन जे मानबे नहि करैए
बहूत मनेलौ मुदा नाहीये मानिए 

राति नहीं बुझत दिन नहीं बुझत
नब नब नाटक हर रोज करैए

हम पूछलये किछु कहू हमरा स
मुदा हमरो स ओ किछु नहीं कहिए

सदिखन बैसल रहल दलान म
जेना लागैए ओ ककरो बाट ताकैए

किअक नहीं एले एखन धरि तक
"रोशन" जग जकरा स प्रेम करैए

मोन एहन जे मानबे नहि करैए
बहूत मनेलौ मुदा नाहीये मानिए 

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