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शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

राअर के सुख बले :

मिथिलाक गाम घर :

राअर के सुख बले :

पढुआ काका  किछु काज स दरभंगा आयल छलाह . जखन सव काज भ गेलैन त बस पकर्बाक लेल बस स्टैंड गेलाह , मुदा गामक बस छुट्टी गेलैन .
पधुआ काका हमरा फ़ोन केलैने ? रोशन  कतय छ: ? हम आकाशवाणी लग ठाढ़ छि ? हाउ हम तोहर घरे बिसरी  गेलिय . तो आबी क हमरा ल जा .

जखन हम पढुआ काका क ल के घर  पर आय्लाहू त घर पर लाइन छल .चुकी गर्मी काफी छल ताहि कारने पंखा चला  हुनका  लग बैसी गेलहु आ हुनका  अपन कंप्यूटर पर फसबूक के खोली हुनका देखाबय लाग्लाहू ? 
अचानक  ललका पाग केर देखैत देरी  हुनक मन गडद-गडद भ गेलैने . ओ कह्लैने जे की " इ थिक मिथिला वासी केर पहचान , आ पाग पहिर्ला स बाढ़ी जाइत  अछि मान "

हम कहलियैक , काका किछू लोक केर कथन अछि जे की पाग मात्र उपनयन , विवाह में पहिरे वाला एक  टा परिधान अछि जे की बाभन आ लाला सब मे पहिरल जाइत अछि ?

ओ कह्लैने हौ जे इ गप करैत अछि ओ पागल हेताह ?
हम कहलियैक , कका ओ सब पढ़ल लिखल आ पैघ-पैघ साहित्यकार छैथ आ विदेह सनक पत्रिका सेहो निकालैत छैथ ?

किछु काल केर उपरान्त पढुआ कका कह्लैने जे की एकटा , दूटा ओही महानुभाव केर नाम त कहक जे सब पाग केर मिथिला केर मान नहीं बुझैत अछि आ मात्र ओकरा जातिगत स जोरी रहल अछि ?

हम कहलियैक आशीष अनचिन्हार , उमेश मंडल , पूनम मंडल प्रियंका झा आ विदेह केर सम्पादक गजेन्द्र ठाकुर .
कका कह्लैने हौ अहि मे त कोनो पैघ साहित्य कार लोकनि केर नाम कहा अछि ?
कका आजुक समय केर इ सब करता धर्ता छैथ साहित्य जगत के .
हौ यदि आजुक साहित्य केर करता एहन छैथ त नहीं जानी की होयत भविष्य मे ?

हमरा सब केर समर में हरिमोहन झा , नागार्जुन , दिनकर सब सनक महान  रचना कार लोकिन छलाह . से इ सब  कोनो  हुनका स पैघ छैथ जखन ओ लोकिन पाग पहिर अपना केर गौरवान्वित बुझैत  छलाह तखन आजुक नौसिखुआ सब के की औकात ?

ओ कह्लैने हौ बाऊ ब्रह्मण एकर विरोध किअक क रहल अछि से नहीं जानी मुदा जिनकर बाप दादा कहियो पहिर्बे नहीं केने  हैथ हुनका त अवस्य ने असोहाथ  बुझेतैन  . 
ओहुना मिथिलाक गाम घर मे कहल जाइत अछि जे की " राअर केर सुख बले " .



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