हमरा लग रहब : ४
मिथिलाक गाम घर मुदा मामी भरी गाम घोल मचा देल्थिन - नहीं जानी नेना कता चली गेल ? अबस्से कस्सैया गुरूजी फेर दंगौने हेतैक आ हमर नेना दुःख स बत्ताह भेल किम्ह्रो परा गेल हैत । अपनों घरे - घर ताकल्खिन । धारो काट धरी तक आयाल्खिं मामा । हुनका गेलापर ओ चुपचाप गाछ पर स उत्तरल आ अपन आँगन में जा ठाढ़ भ गेल मामिक सोझा - काहा गेल छलैन दिन भरी ? मामी केर चिंता तामस में बदली गेल छलैन । प्रणव चूप , घेत झुकोने ठाढ़ ।
अईयो मार्लाको नेंग्रा ? मामी लग आबी गेलिक ।
प्रणव जोर स मुरी झात्लक । मामिक स्वर आर तमास्सा गेलें - तखन कहा छलैह दिन भरी बहुकल प्यासल ? अंदेशा स अखनो कोढ़ धरधरा रहल अछि ।
प्रणव बुक भेल ठाढ़ रहल ।आब मामिक बेशी चिंता भेलैक । एकदम सटी हाथ स देह छूबैत पूछाल्कैक - मों खराब छौक ?
नहीं , अहि बेर प्रनावक बोल फुत्लैक ... एक टा संगी संग धारक ओही पार चली गेल रही , ओ अपन घर बाजूने छल । ओताही खा लेलियाई आई । नहीं जानी कियक झूठ बाजी गेल ओ ? मुदा मामिक जेना बिश्वास नहीं भेलैन । जिरह करैत पुछाल्खिं --खेने ,पिने छे टी एना मूह कियक सूखायल छोऊ?
प्रणव जबरदस्ती हसल -- दिन में जे खेलियक से की पेट में धेले अछि ? सांझ भेलै । किछु दिय ने खाय लेल ।
ओकरा हसित देखि मामिक चिंता जेना दूर भा गेलिक । जलखई देलकैक आ भानस - भात में लागी गेलैक । मुदा प्रनावक मों ओही दिन कथू में नहीं लाग्लैक । गर्मी मॉस छलैक । आँगन में पट्टिया बिछा ईजोरिया में परि रहल । हबो सिह्कैत रहैक । तहियो प्रणव कछ्मछैत रहल । ओकरा बेबे बेर मों पारित रहलैक अपन देह पर बज्रैत छरी आ आर्त्नादक स्वरके दबा पसरित खिल खिल हसी । आ तकर बाद गाल पर एक टा सम्धानल चाट आ चाटक संग आगि सन बोल - साख ने देखू , हमर देह चूताह , पहिने मखानक पात स मूह पोछी आ ।
ओना प्रनावक मूह एकदम पोछल - पाछल आ चिक्कन छलैक । भबूका गोराई आ नंगर देह । मूह कान खूब निख्रल । ममी कहैत छलथिन - रंगल- धोरल , लिखल पढ़ल मूह । टेमी स लिखल ।
ओना मुनर झाक मूह सेहो रंगले - धरौल छलैन - एकदम पकिया रंग स । कारी आ चाकर मूह । नाक सेहो चतरल । ग्स्सल बाही आ चौरा छाती में सौसे केश , एकदम कंठ धरी आ पीठ पर सेहो दुनु काट । कान आ हाथ पैरक अंगूर पर सेहो पिघ पिघ केश । मुदा माथक केश अधिक काल अस्तूरा स मूर्बा लेत छलाह । कारी - कारी झामत्गर केश छलैन , गर्मी मॉस से सौसे माथो में घम्हौरी भ जैत छलैन , मुदा छिल्बा लैत छलाह ।
मुन्नार झाक बहिन , प्रनावक माइयो एकदम गोर भभूका छलैक । देखबा में सेहो तेहने सून्नारी । १५ बर्ष छोट छलैक मून्नर झा स , मुदा विआह स पहिने ओकरे भेलैक , १४ हम बरख में । धनिक घर आ सूँनर वर । जमिन्न्दारक खानदान छलैक , कालू चौधरीक नोत - पात पर आयल छलखिन प्रनावक बाप । मून्नर झाक बहिन के देखाल्खीं आ अपन जेठ भाई लंग जीद क देलखिन । कालू चौधरीक भनसियाक बेटी , मुन्नार झाक बहिन चंपा एकता बरका घर में पूत्हू बनी गेलीह -- कालू चौधरी स पैघ जमिन्दारक घर ।
मिथलाक गाम घर :
मुदा भोग नहीं भेलैन । ६ बे मासक बाद बिध्बा भ गेली । कनिए ज्वर भेलैन आ वैह काल भ गेलें । उपचार - ईलाज , झार-फूक किछुओ नहीं सुनाल्कैं आ चम्पा ५ मासक पेट नेने शीथ पोछी नैहर घुरी आय्लिः । घुरी नहीं आय्लिः बल्कि जबरदस्ती घर स निकाली देल गेल्ही । भसूर के मौका भेटी गेलें - अल्लछ दाइने कही नैहर स बिदा क देल्थिन ।
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