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गुरुवार, 31 मई 2012

ेलाबला


ेलाबला

टाबरक घड़ीमे बारह बजेक घटी ं बिजतिह भोलाक िनž टूिट गेलिन। ओछाइन परसँ
उिठ सड़कपर आिब िहयासए लगला तँ देखलिन जे डडी ं -तराजू माथसँ किनये पिछम
झुकल अिछ। मेघनक दुआरे सतभैयँ झँपाएल। जेĦहर साफ मेघ रहए ओĦहुरका
तरेगण हँसैत मुदा जेĦहर मेघोन रहए ओĦहुरका मिलन। गाड़ी-सबारीसँ सड़क
सुनसान। मुदा िबजलीक इजोत पसरल। गİतीक िसपाही टहलैत। सड़क परसँ
भोला आिब ओछाइनपर पिड़ रहला। मुदा मन उचला-चाल करै त रहिन। िसने माक
रील जेकँ पैछला िजनगी मनमे नचैत। जिहना चुिŎपर चढ़ल बरतनक पािन तरसँ
उपर अबैत तिहना भोलोक मनक खुशी हृदएसँ िनकिल िचड़ै जेकँ अकासमे उड़ैत।
िकएक निह खुशी अओतैक?  हराएल वİतु जे भेिट गेलैक। मन गेलिन परसुका
पÿपर। जे गामसँ दुनू बेटा पठौने रहिन। असभवं काज बुिझ िवĂासे निह होइत
रहिन। पÿ तँ निह पढ़ल होइत रहिन मुदा पढ़बै काल जे पँती सभ सुनने रहिथ,
ओिहना आँिखक आगू नचैत रहिन। पÿ उघािर आँिख गड़ा देखए लगलिथ। ‘‘बाबू,
पँच तारीखकँ दुनू भँइ Ĕवाइन करए जाएब। इ्छा अिछ जे घरसँ िवदा हेबा काल
अहँकँ गोर लािग घरसँ िनकली। तँ पँच तारीखकँ दस बजेसँ पिहनिह अपने गाम
पहुँिच जाइ।’’  पÿक बात मनमे अिबतिह भोला गाम आ शहरक बीचक सीमापर
लसिक गेलाह। मनमे ऐलिन,  समाजसँ िनकिल छातीपर ठेला घीिच,  दूटा िशषक
समाजकँ देिलऐक, की ओिह समाजक आरो ऋण बाकी छैक? जँ निह तँ िकएक ने
छाती लगाओताह। जिहसँ मनमे खुशी उपकलिन जे जिहना गामसँ धोती गोल-गोला आ
दू टाका लऽ कऽ िनकलल छलहुँ, तिहना देहक कपड़ा, सनेस, चाह-पानक खच् छोिड़
िकछु निह एिहठाम लऽ जाएब। िचड़ै टँिह देलकै,  फेर ओछाइन परसँ उिठ
िनकललाह, तँ देखलिखन जे बँस भिर ऊपर भु ुकबा आिब गेल अिछ। चोņे घु िर
कऽ आिब सगी ं -साथीकँ उठा अपन सभ िकछु बँिट देलिखन, अपनाले खाली िटकटक
खच्, सनेस आ पँकेट खच् िमला सए ुपैआ रािख, कपड़ा पहीिर, धम्शालाकँ गोड़
लािग हँसैत िनकिल गेलाह।
जखन आठे बख्क भोला रहिथ तखनिह माए मिर गेलिखन। तीिनये मासक
पछाित िपता रघु नी चुमाओन कऽ लेलिखन। ओना पिहलुको पėीसँ चािर सĠतान भेल
रहिन। मुदा खाली भोलेटा जीिवत रहल। सĜमाएकँ पिरवारमे ऐने भोलाकँ सुखे
भेलिन। ओना गामक जिनजाितयो आ पुुखोकँ होइत जे सĜमाए भोलाकँ अलबा-दोलबा
कऽ घरसँ भगा देतैक, निह तँ पिरवारमे िभनौज जुर कराइये देतीह। मुदा सबहक
अनुमान गलत भेलिन। भोला घरसँ सोलहžी Ąी भऽ गेलाह। Ąी िसफ् काजे टामेगामक िजनगी 59
भेला,  मान-दान बिढ़ये गेलिन। दुनू सँझ भानस होइतिह माए फुटा कऽ भोलाले
सीकपर थारी सँिठ कऽ रािख दैत छलीह। भले हॴ भोला िदनुका खेनाइ सँझमे आ
रौतुका खेनाइ भोरमे िकएक ने खािथ।
परोपņामे जािलम िसहं आ उþम चĠदक नाच जोर पकड़ने। सभ गाममे तँ नाच
पाटŰ निह मुदा एक गाममे नाच भे ने चािर कोसक लोक देखए अबैत।
भोलाक गामक िवशौलक नाच पाटŰ सभसँ सुĠदर अिछ। जेहने नगेड़ा बजौिनहार
तेहने िबपटा। जािहसँ पाटŰक Ćितơा िदनानुिदन बिढ़तिह जाइत। घरसँ Ąी भेने भोला
नाचक परमानंट देिखिनहार भऽ गेलाह। नाचो भिर रौतुका,  निह िक एक घटा ं ,  दू
घटा ं , तीन घटाक। ं जेहने देिखिनहार िजĿी, तेहने निचिनहारो। गामक बूढ़-बुढ़ानुससँ
लऽ कऽ छौँड़ा-मारिड़ भिर मन मनोरजन ं करैत। मनोरजनो ं सİता। ने नाच पाटŰकँ
ुपैआ िदअ पड़ैत आ ने खाइ-पीबैक कोनो झझट। ं ओना गामक बारह-चौदह आना
लोकक हालतो रिĿये। मुदा जे िकसान पिरवार छल ओ अपना ऐठाम मासमे एक-दू
िदन जुर नाच करबैत छलाह। ओ नटुआकँ खाइयोले दैत छलिथ आ कोनो-कोनो
समानो कीिनकँ दैत छलिखन। भोलो नाच पाटŰक अगं बिन गेल, िडƇी सेदैक िजĦमा
भेिट गेलैक। िडƇी सेदैक िजĦमा भेिटतिह काजो बिढ़ गेलैक। घूरक लेल जारनोक
ओिरयान करए पड़ैत छलै। अपना काजमे भोला मİत रहए लगल। मुदा एतबेसँ
ओकर मन शाĠत निह भेलैक। काजक सृजन ओ अपनोहु करए लगल। İटेजक
आगूमे जे छोटका िधया-पूता बैिस पी-पाह करैत,  ओकरो सभपर िनगरानी करए
लगल। आब ओ चुपचाप एकठाम निह बैसैत। घूिम-घूिम कऽ महिफलोक िनगरानी
करए लगल। आरो काज बढ़ैलक। नटु आ सभकँ बीड़ी सेहो लगबए लगल। बीड़ी
सुनगबैत-सुनगबैत अपनो बीड़ी पीब सीिख लेलक। िकछुए िदनक पछाित भोला बीड़ीक
नमहर िपयाक भऽ गेल। िकएक तँ एĸे-दू दम जँ पीबए तैयो भिर राितमे तीस-पंतीस
दम भऽ जाइत छलैक। जिहसँ भिर राित मूड बनल रहैत छलैक।
बीड़ीक कसगर चहिट भोलाकँ लािग गेलै। राितमे तँ नटुऐ सभसँ काज चिल
जाइत छलैक मु दा िदनमे जखन अमलक तलक जोर करैत तँ मन छटपटाए लगैत
छलैक। मूडे भगिठ ं जाइत छलैक। मूड बनबैक दुआरे भोला बापक राखल बीड़ी
चोरा-चोरा पीबए लगल। जिहक चलैत सभ िदन िकछु निह िकछु बापक हाथे मािर
खाइत। एक िदन एĸेटा बीड़ी रघुनीकँ रहिन। भोला चोरा कऽ पीिब लेलक। कोदािर
पािड़ रघुनी गामपर अएलाह तँ बीड़ी पीबैक मन भेलिन। खोिलया परसँ अानए गेलाह
तँ बीड़ी निह देखलिन। चोटपर भोला पकड़ा गेलै। सभ तामस रघुनी भोलापर उतािड़
देलिखन। मािर खाए भोला कनैत उþर मुँहेक राİता पकड़लक। किनये आगू बढ़ल
आिक किरया काकाक नजिर पड़लिन। भोलाक कानब सुिन ओ बुिझ गेलिखन जे
भीतिरया मािर लागल छै। पुचुकािरकँ पुछलिखन- ‘‘की भेलौ रौ भोला?’’
किरया काकाक बात सुिन भोला आरो िहचुिक-िहचुिक कानए लगल। िहचुकैत
भोला किनये जोरसँ काकाकँ कहलकिन,  जे कानबक अवाजमे हरा गेलैक। काका
भोलाक बात निह बुझलिखन। मुदा िबगड़लिखन निह,  दिहना डेन पकिड़ रघुनीकँ60 जगदीश Ćसाद मěडल
कहए बढ़लिथ। काकाकँ देिख रघुिनयोक मन पिघल गेलैक। काका कहलिखन-
‘‘रघुनी, भोला ब्चा अिछ िकऐक तँ िवआह निञ भेलैए। तँ नीक हेतह जे िवआह
करा दहक। अपन भार उतिड़ जेतह। पिरवारक बोझ पड़तै अपने सुधरत। अखन
मारने दोषी हेबह, समाज अबलņ जोड़तह जे बाप कुभेला करैत छैक। जिनजाितक
मुँह रोिक सकबहक ओ कहतह जे ‘‘माए मुइने बाप िपþी।’’
किरया काकाक िवचार रघुनीक करेजकँ छेिद देलक। आँिखमे नोर आिब गेलैक।
अखन धिर जे आँिख रघुनीक किरया काकापर छलैक ओ भोलाक गाल पड़क सुखल
नोरक टघारपर पहुँिच अटिक गेलैक। मािरक चोट भोलाक देहमे िनजाइये गेलैक जे
सगं -सगं िवआहक बात सुिन मनमे खुिशयो उपकलै। बुिŀक िहसाबसँ भलेहॴ भोला
बुिड़बक अिछ मु दा नाचमे मेल-फीमेल गीत तँ गिबतिह अिछ।
िपताक हैिसयतसँ रघुनी किरया काकाकँ कहलिखन- ‘‘काका, हम तँ ओते छह-
पँच निह बुझैत िछऐ, कािŎये चलह कतौ लड़की ठेमा कऽ िवआह कइये देबै।’’
‘‘बड़बिढ़या’’ किह किरयाकाका राİता घेलिन।
भोलाक िवआह भेला आठे िदन भेल छलैक िक पँच गोटेक सगं ससुर आिब
रघुनीकँ कहलकिन- ‘‘िवआहसँ पिहने हम सभ निह बुझिलऐक, परसू पता लागल जे
लड़का नाच पाटŰमे रहैए। नटुआ-फटुआ लड़काक सगं अपन बेटीकँ हम निह जाए
देब। तँ ई सबं धं निह रहत। अपना सभमे तँ खुजले अिछ। अहूँ अपन बेटाकँ
िबयािह िलअ आ हमहूँ अपना बेटीक दोसर िवआह कऽ देब।’’ किह पँचो गोटे चिल
गेलाह।
ससुरक बात सु िन भोलाक बुिŀये हरा गेलै। जिहना जोरगर िबरड़ो उठलापर सभ
िकछु अĠहरा जाइत छैक तिहना भोलोक मन अĠहरा गेल। दुिनयँ अĠहार लगए
लगलैक। ओना तीन मास पिहनिह नाच पाटŰ टुिट गेल छलैक। एकटा नटुआ एकटा
लड़की लऽ कऽ पड़ा गेल छलैक, जािहसँ गाम दू फँक भऽ गेलैक। दू Ƈुपमे गाम
बँटा गेलैक। सौँसे गाममे सनासनी चलै लगलैक। तािह परसँ भोला आरो दू फँक
भऽ गेल।
पाěडु रोगी जेकँ भोलाक देहक खून तरे-तर सुखए लगलैक। मुदा की करैत
बेचारा? िकछु फुड़बे निह करैत छलैक। ्लािनसँ मन कसाइन होअए लगलैक। मने-
मन अपनाकँ िधĸारए लगल। कोन सुगराहा भगवान हमरा जĠम देलिन जे बहुओ
छोिड़ देलक। िवचारलक जे एिह गामसँ कतौ चिलये जाएब नीक होएत।
घरसँ भोला पड़ा गेल। सगी ं -साथीक मुँहसँ िदĪली,  कलकþा,  बĦबइक िवषएमे
सुननिह रहए। जिहसँ गािड़योक भँज बुझले रहए। ने जे बीमे पाइ रहए,  ने
बटखरचा। िसफ् दुइयेटा टाका सगमे ं रहए। अबधािर कऽ कलकþाक गाड़ी पकिड़
लेलक।
हबड़ा İटेशन गाड़ी पहुँचते भोला उतिड़ िबदा भे ल। िटकट निह रहनहुँ एĸो
िमिसया डर मनमे निह रहैक। िनरमली-सकरीक बीच किहयो िटकट निह कटबैत
छल। एक बेर पनरह अगİतकँ िसमिरया धिर िबना िटकटे घुिर आएल रहए।गामक िजनगी 61
Ģलेटफाम्क गेटपर दूटा िसपाहीक सगं टी.टी.  िटकट ओसुलैत। भोलाकँ देिख
टी.टी.क मनमे भेलै जे दरभिगया ं छी भीख मगएं आएल अिछ। िटकट निह मगलकै। ं
िसपािहयोकँ बुिझ पड़लै जे जेबीमे िकछु छैक निह। िटकटेबला याÿी जेकँ भोलो गेट
पार भऽ गेल।
सड़कपर आिब आँिख उठा कऽ तकलक तँ नमहर-नमहर कोठा चौरगर
सड़क, हजारो छोटका-बड़का गाड़ी आ लोकक भीड़ भोला देखलक। मनमे भेलै जे
भिरसक आँिखमे ने िकछु भऽ गेल अिछ। जिहना आँ िख गड़बड़ भेने एĸे चान
सात बुिझ पड़ैत तिहना। दुनू हाथे दुनू आँिख मीिड़ फेर देखलक तँ ओिहना। भीड़
देिख मनमे एलै जे जखन एþे लोकक गुजर-बसर चलैत छै तँ हमर िकएक ने
चलत। आगू बिढ़ लोकक बोली अकानए लगल। मुदा ककरो बाजब बुझबे निह
करैत। अखन धिर बुझैत जे जिहना गाए-महीस सभ ठाम एĸे रगं बजैत अिछ
तिहना ने मनु्खो बजैत होएत। मुदा से निह देिख भेलैक जे भिरसक हम मनु्खक
जेिरमे हेरा ने तँ गेलहुँहँ। फेर मनमे एलै जे लोक तँ सगीकं बीच हराइत अिछ,
असकरमे कोना हराएत। िविचÿ िİथितमे पिड़ गे ल। ने आगू बढ़ैक साहस होइ आ ने
ककरोसँ िकछु पूछैक। िहया हािर उþर मूँहे िबदा भेल। सड़कक िकनछिरये
सभमे खाइ-पीबैक छोट-छोट दोकान पितआनी लागल देखलक। भुख लगले रहै
मुदा अपन पाइ आ बोली सुिन िहĦमते ने होइत। जेबी टोबलक तँ दूटकही रहबे
करै। मन पड़लैक मधुबनीक İटेशन कातक होटल, जिहमे पँच ुपैये Ģलेट दैत।
ई तँ सहजिह कलकþा छी। एिहठाम तँ आरो बेसी महग हेबे करत। एकटा
दोकानक आगूमे ठाढ़ भऽ गर अँटबए लगल जे निह भात-रोटी तँ एक िगलास
सतुऐ पीिब लेब। बगए देिख दोकानदारे कहलक- ‘‘आबह, आबह बौआ। ठाढ़ िकएक
छह?’’
अपन बोली सुिन भोला घुसुिक कऽ दोकान लग पहुँिच पुछलक- ‘‘दादा, कोना
खुआबए छहक?’’
 ‘‘तीन मास पिहने धिर आठे आनामे खुआबै छेिलऐक। अखन बारह आनामे
खुआबै िछऐ।’’
भोलाक मनमे सतोष ं भेल। पाइयेबला गिहकी जेकँ बाजल- ‘‘कुुड़ करैले पािन
लाबह।’’
भिर पेट खा आगू बढ़ल। ओना तँ रगं -िवरगकं बİतु देखैत मुदा भोलाक नजिर
िसफ् दुइये ठाम अँटकैत। देवाल सभमे साटल िसनेमाक पोİटरपर आ सड़कपर
चलैत ठेलापर। जािह पोİटरमे डाĠस करैत देखए ओिह ठाम अटिक सोचए जे ई
नत्की मौगी छी आिक पुुख। गाम-घरमे तँ पुुखे मौगी बिन डाĠस करैत अिछ।
फेर मन पड़लै सगीकं मुँहे सुनल ओ बात जे कहने रहए सĜय हिरĀĠद िफĪममे
मदų मौिगओक रौल केने रहए। गुनधुन करैत बढ़ल तँ अपने जेकँ छौड़ाकँ
ठेला ठेलने जाइत देिख सोचए लगल जे ई काज तँ हमरो बुते भऽ सकैत अिछ।
गाड़ीक Ƒाइवरी तँ करए निह अबैत अिछ। िबना िसखने िर्शो कोना चलाओल62 जगदीश Ćसाद मěडल
हएत?  ततमत करैत आगू बढ़ल। सड़कक बगलेमे एकटा ठेलाबलाकँ चाह पीबैत
देखलक। ओिहठाम जा कऽ ठाढ़ भऽ गेल। चाह पीिब ठेलाबला पुछलक- ‘‘कोन गँ
रहै छह?’’
‘‘िवशौल।’’
‘‘हमहूँ तँ सुखेते रहै छी। चलह हमरा सगे।ं ’’
गप-सĢप करैत दुनू गोटे धम्तĪलाक पुरना धम्शाला लग पहुँचल,  ठेलाकँ
सड़केपर छोिड़ दीनमा भोलाकँ धम्शालाक भीतर लऽ जा कऽ कहलक- ‘‘समंग
असकरे कतौ जै हह निह। हरा जेबह। हम एक Əीप मारने अबै छी।’’
टकीपर ं हाथ-पाएर धोए भोला दीनमासँ बीड़ी मंिग पीिब, पीलर लगा ओँगिठ कऽ
बैिस गेल। आँिख उठा कऽ तकलक तँ झड़ल-झुरल देवालक िसमटी, तैपर कतौ-
कतौ बर-पीपरक गाछ जनमल देखलक। पैखाना कोठरीक आ पािनक टकीक ं आगूमे
ठेहुन भिर िकचार सेहो देखलक मन पड़लैक गाम। नाच-पाटŰ टूिट गेल,  घरवाली
छोिड़ देलक। दू पाटी गाम भऽ गेल। सोिचतिह-सोिचतिह िनž आिब गेलैक। बैिसले-
बैसल सुित रहल।
गोसँइ डूिबतिह बुचाइ  -दोसर ठेलाबला- आिब भोलाकँ जगबैत पुछलक- ‘‘कोन
गाम रहै छह?’’
आशा भरल İवरमे भोला बाजल- ‘‘िबशौल।’’
िवशौलक नाओ सुिनतिह मुİकी दैत बुचाइ पुछलक- ‘‘ुपनकँ चीĠहै छहक?’’
‘‘उ तँ हमरा कĸे हएत।’’
अपन भाएक ससुर बुिझ भोलासँ सार-बिहनोइक सबं धं बनबैत कहलक- ‘‘चलह,
पिहने चाह पीबी। तखन िनचेनसँ गप-सĢप करब।’’
किह टकीपर ं जा बुचन देह-हाथ धोए, कपड़ा बदिल भोलाकँ सगं केने दोकानपर
गेल। आँिखक इशारासँ दोकानदारकँ दू-दूटा पिनतुआ, दू-दूटा समौसा दैले कहलक।
दुनू गोटे खा, चाह पीिब पानक दोकानपर पहुँिच बुचइ पान मंगलक। पान सुिन भोला
बाजल- ‘‘पान छोिड़ िदयौ। बीिड़ये कीिन िलअ।’’
बीड़ी पीबैत दुनू गोटे धम्शालाक भीतर पहुँचल। एका-एकी ठेलाबला सभ अबए
लगलैक। िबशौलक नाओ सुिनतिह अपन-अपन सबं धं सभ फिरयबए लगल। सबं धं
İथािपत होइतिह चाहक आƇह करैत। चाह पीबैत-पीबैत भोलाक पेट अिगया गेलै।
अखन धिरक िजनगीमे एहन İनेह भाेलाकँ पिहल िदन भेटलै। ठेलाबला पिरवारक अगं
भोला बिन गेल। भोलाक सभ ĭयवİथा ठेलाबला सभ कऽ देलक। दोसर िदनसँ ठेला
ठेलए लगल।
शिन िदनकँ सभ ठेलाबला रौतु का शो िसनेमा देखए जाइत। ओिह शोमे एक
्लासक कĠसेशन भेटैत अिछ। भोलो सभ शिन िसनेमा देखए लगल।
चौदह मास बीतलाक बाद भोला गाम आएल। नव चेहरा नव िबचार भोलाक।
घरक सभले कपड़ा अनने अिछ। िधया-पूताकँ दू-दूटा चौकलेट देलक। िधया-पूताकँ
चौकलेट देिख एका-एकी जिनजाितयो सभ अबए लगलीह। झबरी दादी आिब भोलाकँगामक िजनगी 63
देिख बजए लगलीह- ‘‘कहू तँ एिहसँ सुžर पुुख केहेन होइ छै जे सॱथ जरौिनयँ
छोिड़ देलकै।’’
दादीक बात भोलाकँ बेिध देलक। आँिख नोराए लगलैक। रघु नीक मन सेहो
कानए लगलै। दोसरे िदन रघुनी लड़की ताकए घरसँ िनकलल। ओना लड़कीक तँ
कमी निह,  मुदा गाम-घर देिख कऽ कुटुमैती करैक िवचार रघुिनक मनमे रहै।
लड़कीक कमी तँ ओिह समाजमे अिधक अिछ जिहमे ƚूण-हĜयाक रोग धेने छै क।
समयो बदलल। िगरहİत पिरवारसँ अिधक पसĠद लोक नोकिरया पिरवारकँ करैत
अिछ। बगलेक गाममे भोलाक िवआह भऽ गेल।
िवआहक तीिनये िदन पछाित किनयँक िबदागिरयो भऽ गेलैक आ पँचमे िदन
अपनो कलकþा चिल देलक।
सालक एगारह मास भोला कलकþा आ एक मास गाममे गुजारए लगल। गाम
अबैत तँ अपनो घरक काज सĦहािर अनको सĦहािर दैत।
तेसर साल चिढ़तिह भेलाकँ जौँ आ बेटा भेलै। नवम् मास चिढ़तिह ओ गाम आिब
गेल। मनमे आशो बनले रहैक जे पाइ-कौड़ीक िदĸत तँ निहये हएत। सभ ठेलाबला
अपन सİथा ं बना पाइ-कौड़ीक ĆबĠध अपने केने अिछ। मुदा पिहल बेर छी, किनयँक
देखभाल तँ किठन अिछये। सरकारीक कोनो बेवİथो निहये छैक। मुदा समाजो तँ
समुƖ िथक। िबनु कहनहुँ सेवा भेटैत अिछ। जािहसँ भोलोकँ कोनो बेसी परेशानी
निहये भेलैक।
समय आगू बढ़ल। पँच बख् पुिरतिह भोला दुनू बेटाकँ İकूलमे नाओ
िलखौलक। शहरक वातावरणमे रहने भोलोक िवचार िधया-पूताकँ पढ़बै िदिश झुिक
गेल रहैक। मनमे अरोिप लेलक जे भलेही खटनी दोबर िकऐक ने बिढ़ जाए मुदा दुनू
बेटाकँ जुर पढ़ाएब। अपन आमदनी देिख पėीक ऑपरेशन करा देलक। जािहसँ
पिरवारो समटले रहलैक।
पढ़ैमे जेहने चĠसगर रतन तेहने लाल। ्लासमे रतन फİट करैत आ लाल
सेकेěड। सातवँ ्लास धिर दुनू भँइ फİट-सेकेěड İकूलमे करैत रहल। मुदा हाइ
İकूलमे दुनू भँइ आट् लऽ पढ़ए लगल जिहसँ ्लासमे कोनो पोजीसन तँ निहये होइत
मुदा नीक नĦबरसँ पास करए लगल।
मैिƏकक परीषा दऽ दुनू भँइ कलकþा गेल। अखन धिर आने परदेशी जेकँ
अपनो िपताकँ बुझैत छल। तँ मनमे रगं -िवरगकं इ्छा सयोगने ं कलकþा पहुँचल
रहए। मुदा अपन िपताक मेहनत, -छातीक बले ठेला घीचै त देिख- पराते भने गाम
घुमैक िवचार दुनू भँइ कऽ लेलक। िपतेक जोरपर तीिन िदन अँटकल। मुदा िकछु
कीनैक िवचार छोिड़ देलक। मेहनतक कमाइ देिख अपन इ्छाकँ मनेमे दुनू भँइ दािब
लेलक। मुदा तइयो भोला दुनू बेटाकँ फुलपंट, शट्, धड़ी, जुþा कीिन कऽ देलिखन।
तीन मासक उपराĠत मैिƏकक िरजĪट िनकललै। दुनू भँइ-रतनो आ लालो- Ćथम
āेणीसँ पास केलक। फİट िडवीजन भेलोपर आगू पढ़ैक िवचार मनमे निह अनलक।
उपाज्नक लेल सोचए लगल। नोकरीक भँज-भुँज लगबै लगल। नोकिरयोक तँ वएह64 जगदीश Ćसाद मěडल
हाल। गामक-गाम पढ़ल िबनु पढ़ल नौजवानक फौज तैयार अिछ। एक काजक लेल
हजार हाथ तैयार अिछ। जािहसँ समाजक मूल पूँजी  –मानवीय- आिगमे जरै त सĦपित
जेकँ नƠ भऽ रहल अिछ।
समए मोड़ लेलक। पढ़ल-िलखल नौजवानक लेल नोकरीक छोट-छीन दरबĔजा
खुजल। गामक İकूलमे िशषा-िमÿक बहाली होअए लगलैक। जािहसँ नव Ĕयोितक
सचार ं गामोक पढ़ल िलखल नौजवानमे भेलैक। ओना समएक िहसाबसँ िशषा िमÿक
मानदेय माÿ खोराकी भिर अिछ, मुदा बेरोजगारीक िहसाबसँ तँ नीक अिछये। बगलेक
गामक İकूलमे रतनो आ लालोक बहाली भऽ गेलै क। पँच तारीककँ दुनू भँइ Ĕवाइन
करत।
आगू निह पढ़ैक दुख जते दुनू भँइक मनमे निह रहैक तािहसँ बेसी खुशी
नोकरीसँ भेलैक। कोपर बुिŀमे कलुषताक िमिसयो भिर आगमन निह भेलैक अिछ।
दुनू भँइ बैिस कऽ अपन पिरवारक सबं धमे ं िवचारए लगल। रतन लालकँ कहलक-
‘‘बौआ, कोन धरानी बाबू अपना दुनू भँइकँ पढ़ौलिन से तँ देखले अिछ। अपनो सभ
एक सीमा धिर पहँिच गेल छी। तँ अपनो सभक की दाियĜव बनैत अिछ, से तँ
सोचए पड़तह ?’’
रतनक बात सुिन लाल बाजल- ‘‘भैया,  अपना सभ ओिह धरतीक सĠतान छी
जािह धरतीपर āवण कुमार सन बेटा भऽ चुकल छिथ। पँच तारीकसँ पिहनिह बाबूकँ
कलकतासँ बजा लहुन। हम सभ ठेलाबलाक बेटा छी, एिहमे कोनो लाज निह अिछ।
मुदा लाजक बात तहन हएत जहन ओ ठेला घीचताह आ अपना सभ कुरसीपर बैिस
दोसरकँ उपदेश देबै।’’
मूड़ी डोला İवीकार करैत रतना बाजल- ‘‘आइये बाबूकँ जानकारी दऽ दैत
िछअिन जे जानकारी पिबतिह गाड़ी पकिड़ घर चिल आउ। पँच तारीखकँ दुनू भँइ
Ĕवाइन करए जाएब। दुनू भँइक िवचार अिछ जे अहँकँ गोर लािग घरसँ डेग
उठाएब।’’
दुनू भँइक िवचार सुिनतिह माएक मन सुख-दुखक सीमापर लसिक गेलिन।
जरल घरारीपर चमकैत कोठा देखए लगलीह। आँिखमे नोर छलिक गेलिन। मुदा ओ
दुखक निह सुखक छलिन।

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