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शुक्रवार, 15 मार्च 2013

सिहरी गेल मोन,
चौंकि गेलहूँ हम,
चेहा उठल स्मृति,
मेज पर राखल टेबुललैंप,
बेजान सन,
भुकभुकाईत रहल,
आ हम,
एही भुकभुकी में,
ताकि लेलहूँ,
अपन जिनगी,
आ जिनगीक सब रंग के,
अबधाईर लेलहूँ,
हमहूँ आब मशीन जकाँ,
स्विच स’ ओन आ ऑफ,
होइत रहैत छी,
जखन तखन,

बीती जो रे जिनगी,
नहीं अछि सहाज,
आब बस ......
  
http://gunjanshree.blogspot.in

बुधवार, 10 अक्तूबर 2012


कत्ते सोहाओन राति छै आयल,
सुख , सपना सब संगे लायल ....

कोना ने कियो मस्त भ’ झहरत,
नैन आहाँके अछि कजरायल,...

नैन करय नेह केर सिंचन,
ठोरक भाफ में सब उस्नायल,....

आगुक रूप के कोना हम बाजू,
बस पर्वत छै जेना समाओल,.....

‘गुंजन’ के दिन छिनी-झपटिक’
भाग्यो छैथ अहींक संग लागल,....

बुधवार, 7 मार्च 2012

मिथिलाक गाम घर 






सिह्कल बसात फेर मोन परल गाम,
फरल हेते काँच जामुन,आम,लताम,....

ओहो ओहिना हेती ऐसगर बैसल,
जेने माल-जाल बिनु होय बथान,.....

गामक खेतक आइरि मे ऐखनो,
गमकि रहल अछि ककरो घाम,......

नैनक काजर जेना लगैत अछि,
नोर बनि बरिसत ऐहिथाम,...

आफिस के ए.सी. मे बैसल हम,
तकि रहल छि अपन खरिहान,...

सबता ब्यथा बुझै छि 'गुंजन' तैयो,
हूँनका लेखे हम छि अकान,....