मिथिलाक गाम घर
झुला केर गीत
जनक नगरि मे सिया सन्ग झुला झुलय
चलु झुला देखय , चलु झुला देखय .
झुला केर शोभा अछि अनुपम बद्द भारि
राम सन्ग झुलै हुनक सर्होजि आ साडि
हुनका सन्ग मे झुलय के मन सब के करय
चलु झुला देखय , चलु झुला देखय .
भरत शत्रुघन लक्श्मन सेहो झुलय
झुलन केर झाकि देखि सखि सब हसय
जतय राम के सखि सब गाडि पारय
चलु झुला देखय , चलु झुला देखय .
रध सन्ग कान्हा झुलय ब्रह्मा सन्ग ब्रह्मानि
मात गौरि केर सन्ग झुलय भोल दानि
जनक नगरि मे झुला देखय सब कियो आबय
चलु झुला देखय , चलु झुला देखय .
रोशन कुमर झा
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