Blogger templates

सोमवार, 30 अप्रैल 2012

मिथिलाक सांस्कृति भगवती सीता



मिथिलाक सांस्कृति भगवती सीता

रोशन कुमार झा : दरभंगा : जगत जननी भगवती सीता कएर प्राकट्य स्थली हेबाक कारने मिथिला क माटी क कण-कण चंदन केर समान पूजनीय मानाल गेल अछि । जनक-पुत्री मां जानकी मिथिला क संस्कृति कएर पर्याय अछि । भगवती कएर जन्म-भूमि हेबाक केर कारण आध्यात्मिक दृष्टि स सेहो मिथिला शीर्ष पर रहल और याज्ञवल्क्य स्मृति में कहल गेल 'धर्मस्य निर्णयो ज्ञेयो मिथिला व्यवहारत:।' यानी धर्म कएर निर्णय जानबाक लेल मिथिला केर व्यवाहार केर जानू । मिथिला क etek महत्वपूर्ण बनाबाई वला भगवान श्रीराम कएर शक्ति भूमिजा माता श्री मैथिली कवीश्वर चंदा झा के मिथिलाभाषा रामायण में स्वयं कहैत अछि 'जनक जनक जननी अवनि रघुनंदन प्राणेश, देवर लक्ष्मण हमर छथि नैहर मिथिलादेश।' हुनक आदर्श चरित्र कएर उत्कर्ष सदा स अतुलनीय रहल अछि । स्वाभाविक रूप स साहित्य-संसार सेहो एकरा अप्नेलक । आधुनिक मैथिली साहित्य के जनक कवीश्वर चंदा झा मिथिला भाषा रामायण की रचना केलें त महाकवि लालदास ल 'रमेश्वर चरित रामायण' व 'जानकी रामायण', कविवर सीताराम झा 'अंब चरित', कपिलदेव ठाकुर 'स्नेहलता' 'सीतावतरण', बैद्यनाथ मल्लिक विधु 'सीतायन', मैथिली पुत्र प्रदीप 'श्री सीता अवतरण' आदि पुस्तक सब में सेहो जानकी केर चरित्र क विभिन्न पक्ष सब केर उजागर केलें । अहि में कवीश्वर चंदा झा और लालदास कएर रामायण समस्त मिथिलावासि केर कंठ म एक ता अपन अस्थान बनबैत अछि ।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें