79म सगर राति दीप जरय भेल सम्पन्न
दरभंगा: दरभंगा जिलाक घनश्यापुर गाममे रविकेँ 79 सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठिक आयोजन भेल। कमलेश झाक संयोजकमे भेल एहि कथा गोष्ठिक उद्घाटन रमानन्द झा रमण केलनि। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश प्रसाद मण्डल आ मञ्च सञ्चालन अशोक मेहता जी द्वारा कएल गेल। एहि अवसरपर रमणजी अपन उद्बोधनमे कहलनि जे पहिल बेर एहि गाममे ओ हाथीपर चढ़ि कऽ आएल छला। चुटकी लैत ओ कहलनि जे एहि ठामक टूक बड़ नामी अछि। उमेश पासवान द्वारा रचित कविता संग्रह वर्नित रसक विमोचन कएल गेल। कथा कमला गोष्ठिमे राति भरि कथाकार लोकनि कथाक पाठ करैत रहला। प्रत्येक कथापर समीक्षाकार लोकनि अपना अपना स्तरसँ समीक्षा प्रस्तुत केलनि। रविकेँ भेल एहि कथा गोष्ठिमे कुल 25 गोट कथाकार लोकनि अपन-अपन कथाक पाठ केलनि। पहिल खण्डमे कुल तीन गोट कथाक पाठ भेल। एहिमे उमेश पासवान- बाम दहिन, रोशन कुमार मैथिल-चरित्रहीन आ गौरी शंकर साह- खानदान नामक कथाक पाठ केलनि। समीक्षा प्रस्तुत करैत डा. शिव कुमार प्रसाद, डा. केदार नाथ चौधरी, देवकान्तजी आ अशोक मेहता रोशन कुमार मैथिल द्वारा पढ़ल गेल चरित्रहीनके ँ उतकृष्ट कथा कहलनि। उमेश मण्डल अपन विचार प्रकट करैत कहलनि जे निस्नदेह चरित्रहीन नीक कथा अछि मुदा एहिमे कथाकरा एड्स सनक बिमारीक कारण नञि बता मात्र प्रश्न ठाढ़ केलनि अछि। दोसर खण्डमे कुल पाँच गोट कथाक पाठ भेल। एहिमे कमल कान्त झा- शेरू, देवकान्त मिश्र- अपनत्व, शशिकान्त झा- पानो नञि खुएलक, विष्णुदेव झा विकल- प्रेमक पुजारी आ हरिश्चन्द्र झा हरि- सिसकैत बुढ़ारी कथाक पाठ केलनि। एहिमे समीक्षा दैत शशी बोध मिश्र शशी, दुर्गा नन्द मण्डल, रोशन कुमार मैथिल, डा. शिव कुमार प्रसाद, दिनेश मिश्र आ अशाक कुमार मेहता अपन अपन विचार रखलनि। ई लोकनि एहि बातपर जोर देलनि जे कैरियरक यात्रामे आजुक धिया पुताकेँ माता पितापर विशेष ध्यान देबक चाही। रोशन कुमार मैथिल एहि अवसरपर युवा लोकनिसँ आग्रह केलक जे हमरा लोकनि सेहो एक दिन माता पिता बनब आ बुढ होएब। कैरियर बनाएब आवश्यक अछि मुदा माता पिता दिस ध्यान नञि दऽ कैरियर बनाएब उचीत नञि अछि। तेसर चरणमे अखिलेस कुुमार मण्डल- दोस्ती रहए की जाए, अमित मिश्र -दोसर रूप आ अविनाश कुमार मण्डल- गपक खोइचा नामक कथाक पाठ केलनि। हिनका लोकनिपर समीक्षा दैत योगानन्द झा, रामविलास साहु, बम शंकर राय, रमानन्द झा रमण अमित मिश्रक दोसर रूपक प्रशंसा करेत कहलनि जे आ भविष्यमे नीक कथाकार बनि सकै छथि। चारिम खण्डमे निखिल कुमार रौनक, पंकज सत्यम स्वाभिमान आ कमलेश्वर राउत व्यथा नामक कथा पढ़लनि। कथाक अनुसार एहिपर शशी बोध मिश्र शशी, मनोज मिश्र, रोशन कुमार मैथिल, योगानन्द झा अपन अपन विचार रखलनि। एकरा बाद भोजनावकाश राखल गेल। संयोजनक दिससँ मिथिलाक भात, दालि, तरकारी, पापर आ दही चीनीक उत्तम प्रबन्ध कएल गेल छल। एकरा बाद एहिमे राजा राम सिह राठोर- अश्लिल बात, शम्भू शौरभ- आपसी, नन्द विलास राय -सभसँ पैघ पूजा, दुर्गानन्द मण्डल -बुड़बक के, बेचन ठाकुर- लाइसेंस रद्द, राम विलास साहु -बुजुर्गक दुख के हरत आ जातिक भोज, लक्ष्मी दास- छातीक बीख, शिव कुमर मिश्र- धूर्त, उमेश मण्डल -खुट्टा उसरब, उमेश नारायण कर्ण -जी सरकार, शारदानन्द सिंह- बुढ़िया घर, विद्याकर जी- महाबली दुल्लह राव नामक कथाक पाठ केलनि। कथाक अनुसारे समीक्षाकार लोकनि एहि कथा सभक समीक्षा केलनि। एहि कथामे एक गोट गाप बेर बेर कहल गेल जे रचनाकार लोक निकेँ बेसीसँ बेसी मैथिली शब्दक चयन करबाक चाही। जे शब्द एहि ठाम नञि अछि तकर विकल्प आन भाषासँ लेल जा सकैत अछि। एकरा बााद ई निणय कएल गेल 80 म कथा गोष्ठि उमेश पासवानक संयोजनमे निर्मलीमे कएल जाएत।
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