मिथिलाक गाम घर :
राजा जनक घर जानकी जनम लेल ,
मची गेल नगरी मे शोर .
मची गेल नगरी मे शोर गे माई ,
मची गेल नगरी मे शोर गे माई
राजा जनक घर जानकी जनम लेल ,
मची गेल नगरी मे शोर .
किओ सखी गाबई , किओ बजाबाई,
किओ गबाइए मंगल गान , गे माई
रानी सुनैना केर आरती उतरैत ,
ल केर हरियर दुभी धान .
अन्न - धन बाटत राजा जनक जी .
मन्न ही मन मुसुकाई गे माई .
धन्य -धन्य हमर , भाग्य रे विधाता ,
हमारा पर भेले तू सहाई .
जिनकर आँगन मे लक्ष्मी स्वरुपा ,
बेटी खेलत आठो - याम ,गे माई
ओही नगरी केर हम छि वासी ,
रोशन करैत अछि प्रणाम .
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